कोरोनाकाल में थमी नदी पुनर्जनन की रफ्तार फिर पकड़ेगी जोर
वैश्विक महासंकट की दस्तक से थम चुकी नदी पुनर्जनन महाअभियान की रफ्तार एक बार फिर जोर पकड़ेगी। इसके तहत जीवनदायिनी कोसी के साथ ही उसकी सहायक नदियों कुंजगढ़ व सिरौता को नया जीवन देने के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों को भौगोलिक सूचना विज्ञान तकनीक (जीआइएस) का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
संस, अल्मोड़ा : वैश्विक महासंकट की दस्तक से थम चुकी नदी पुनर्जनन महाअभियान की रफ्तार एक बार फिर जोर पकड़ेगी। इसके तहत जीवनदायिनी कोसी के साथ ही उसकी सहायक नदियों कुंजगढ़ व सिरौता को नया जीवन देने के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों को भौगोलिक सूचना विज्ञान तकनीक (जीआइएस) का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये अधिकारी संबंधित जलागम क्षेत्र के ग्रामीणों व पंचायत प्रतिनिधियों को मुहिम से जोड़ उन्हें प्रशिक्षित करेंगे। इधर डीएम वंदना सिंह ने पहले व दूसरे चरण की जीआइएस मैपिंग का काम जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
कोसी समेत अन्य गैरहिमानी नदियों के संरक्षण को पिछले तीन दशक से शोध एवं अध्ययन में जुटे नेशनल जीयो स्पेशल चेयर प्रोफेसर (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) प्रो. जीवन सिंह रावत की पहल पर डीएम वंदना सिंह ने नदी पुनर्जनन महाअभियान को मुकाम तक पहुंचाने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं। उन्होंने मुहिम को मूर्तरूप देने के लिए समय समय पर नोडल अधिकारियों की समीक्षा बैठक व सुझाव लिए जाने के निर्देश दिए हैं।
प्रो. जीवन ने कोसी पुर्नजनन महाअभियान के तहत बीते तीन वर्षो में किए गए जैविक व यांत्रिक उपचार के बारे में बताया। जीआइएस आधारित भावी कार्यो की कार्ययोजना भी बताई। बताया कि कोसी के साथ ही उसकी सहायक कुंजगढ़ व सिरौता नदियों के पुनर्जनन कार्य किए जा रहे हैं।
डीएम ने नदियों के उद्धार को नियुक्त नोडल अधिकारियों का विशेष प्रशिक्षण को कहा। पुनर्जनन मुहिम से जुड़े राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान कोसी कटारमल की वरिष्ठ विज्ञानी डा. वसुधा पंत के अनुसार कोसी के रिचार्ज क्षेत्रों में जल स्तर का लगातार अध्ययन किया जा रहा है। डीएफओ महातिम सिंह यादव ने विभागीय स्तरपर नदी पुनर्जनन कार्यो का ब्योरा दिया।