पहाड़ में नदी का पानी पीना बनी मजबूरी
रानीखेत क्षेत्र के लोग पहाड़ जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। खान व मस्कुटा गांव की जलापूर्ति ठप पड़ी हुई है। मजबूरन लोगों को नदी से पानी ढोकर गुजारा करना पड़ रहा है। कई बार शिकायत करने के बाद भी जलसंस्थान के अफसर कार्रवाही नहीं कर रहे हैं।
संवाद सहयोगी,रानीखेत : पहाड़ में लोग पहाड़ जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बावजूद कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। आलम यह है कि अल्मोड़ा-हल्द्वानी-हाईवे से सटे गावों के लोग नदी का पानी पीने को मजबूर है। कई बार पेयजल आपूर्ति सुचारू किए जाने की माग उठाई जा चुकी है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही।
हाईवे से सटे खान व मुस्कुटा गाव में 50 से ज्यादा परिवारों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए शेर पंपिंग पेयजल योजना से जोड़ा गया था। विभागीय अनदेखी व समय की मार से गांव को जलापूर्ति करने वाली पाइप लाइन जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गयी है। इससे गाव की पेयजल आपूर्ति चरमरा गई। कई बार ग्रामीणों ने आवाज उठाई पर कोई सुनवाई नहीं हुई। मजबूरी में ग्रामीणों को नदी में रुख कराना पड़ा। समीप बहने वाली शिरोता नदी ही ग्रामीणों के लिए जीवनदायिनी बन गई है और इसका पानी पीना मजबूरी बन चुका हैं। स्थानीय बालम सिंह, रमेश काडपाल, जीएन काडपाल, पूरन राम, शभू राम, नारायण राम आदि ने जल संस्थान पर उपेक्षा का आरोप लगाया। कहा कि मजबूरी में गावों के लोग नदी का पानी पी रहे हैं। बरसात आने पर संक्त्रामक बीमारी फैलने का खतरा भी बना है। चेताया है कि यदि पेयजल व्यवस्था सुचारू नहीं की गई तो फिर संबंधित विभाग के खिलाफ आदोलन शुरू कर दिया जाएगा।
योजना से गावों के लोगों को पानी क्यों नहीं मिल रहा, इसका पता लगाया जाएगा। यदि पाइप क्षतिग्रस्त है तो प्रस्ताव बनाकर पाइप बदलेंगे। डिमाड मिली तो गावों को टैंकरों के माध्यम से भी जलापूर्ति की जाएगी।
- संदीप आर्या, अपर सहायक अभियंता, जल संस्थान