फीकी न पड़ जाए भोजन माताओं की दिवाली

घरेलू काम छोड़ नौनिहालों के लिए मध्याह्न परोसने वाली माताएं ही मानदेय न मिलने के कारण अपने पाल्यों का पोषण करने में खुद को असहाय महसूस करने लगी हैं। बगैर मानदेय के दशहरा बीता और अब तो सबसे बड़ा दीपावली पर्व भी करीब है। मगर अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 05:28 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 05:28 PM (IST)
फीकी न पड़ जाए भोजन माताओं की दिवाली
फीकी न पड़ जाए भोजन माताओं की दिवाली

संस, द्वाराहाट : घरेलू काम छोड़ नौनिहालों के लिए मध्याह्न परोसने वाली माताएं ही मानदेय न मिलने के कारण अपने पाल्यों का पोषण करने में खुद को असहाय महसूस करने लगी हैं। बगैर मानदेय के दशहरा बीता और अब तो सबसे बड़ा दीपावली पर्व भी करीब है। मगर अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। विडंबना यह कि बोनस के तौर पर मिलने वाली एक हजार की राशि भी अब प्रधानाध्यापकों की आख्या पर निर्भर है। बीते छह माह के कार्यो की आख्या भेजने के बाद भी भुगतान होगा या नहीं, इस पर संशय छाया है।

भोजन माताओं को मानदेय के साथ ही बोनस के लिए भी तरसना पड़ सकता है। भोजन माताओं को तीसरे माह मानदेय दिया जाता है। उस पर भी बीते दो माह से भुगतान नहीं हुआ है। इधर दीपावली का त्योहार नजदीक आने के बावजूद बोनस भुगतान की प्रक्रिया लटकी पड़ी है। वजह प्रधानाध्यापकों के माध्यम से छह माह के कार्यो के मूल्याकन के बाद ही बोनस दिए जाने की बात सामने आई है। इधर भोजन माताओं की उपेक्षा पर पंचायत प्रतिनिधि मुखर होने लगे हैं। ग्राम प्रधान संगठन लामबंद

ग्राम प्रधान संगठन से जुड़े प्रमोद जोशी ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की दुहाई तो खूब दी जा रही है। मगर मगर मनमाने फैसलों से भोजन माताओं की ही सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने मानेदय का भुगतान जल्द किए जाने पर जोर देते हुए बोनस के लिए नियम सरल बनाए जाने की पुरजोर वकालत की है। इसी सिलसिले में प्रशासन व विभाग को ज्ञापन भी भेजा गया है। साथ ही आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। इधर खंड शिक्षाधिकारी डीएल आर्या ने कहा कि भोजन माताओं का मानदेय किस स्तर पर रुका है पता लगा पत्राचार करेंगे। बोनस का मामला शासन स्तर पर का है। उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जा रही है।

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