कड़े कानून के बावजूद बढ़ते एसिड हमले चिंताजनक

एसिड हमलों के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए विशेषज्ञों ने कानून को और कड़ा बनाने की पुरजोर वकालत की। वक्ताओं ने कहा कि ऐसी जघन्य घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों को त्वरित और कड़ी सजा की व्यवस्था से ही इन अपराधों पर नकेल कसी जा सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 02:42 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 02:42 PM (IST)
कड़े कानून के बावजूद बढ़ते एसिड हमले चिंताजनक
कड़े कानून के बावजूद बढ़ते एसिड हमले चिंताजनक

संस, रानीखेत : एसिड हमलों के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए विशेषज्ञों ने कानून को और कड़ा बनाने की पुरजोर वकालत की। वक्ताओं ने कहा कि ऐसी जघन्य घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों को त्वरित और कड़ी सजा की व्यवस्था से ही इन अपराधों पर नकेल कसी जा सकती है। साथ ही उच्चतम न्यायालय के इसे गंभीर अपराध करार दिए जाने तथा जारी किए गए दिशा निर्देशों पर सख्ती से अमल पर भी जोर दिया गया।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. जय दत्त्त वैला राजकीय महाविद्यालय सभागार में लिंग आधारित हिसा के लिए एसिड अटैक पर वर्चुअल कार्यशाला हुई। शुभारंभ करते हुए कुलपति एसएस जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा प्रो. एनएस भंडारी ने अमलीय हमलों को जघन्य बता राष्ट्रीय महिला आयोग के कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी। प्रो. विजया रानी ढौंढियाल ने महिला हिसा पर सामाजिक पक्ष रखा तो डीएसबी नैनीताल में विज्ञान विभागाध्यक्ष डा. नीता बोरा ने लैंगिक हिसा आदि पहलुओं पर प्रकाश डाला। पीजी कालेज रानीखेत की डा. माया शुक्ला ने वैदिक व वर्तमानकाल में महिलाओं की सामाजिक स्थिति पर तुलानात्मक ब्योरा प्रस्तुत किया। पूर्व प्राचार्या डा. हेमा प्रसाद, एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में विधि विभाग के प्राध्यापक डा. अरशद ने भी एसिड हमलों पर अंकुश को लागू कानूनी प्रावधान तथा संविधान में महिला हिसा पर लगाम को बनाए गए कानून से रूबरू कराया। डा. आशा पारचे व डा. बुशरा मतीन ने भी विचार रखे। इस दौरान प्राचार्य डा. पुष्पेश पांडे, डा. जया नैथानी, डा. पूजा बोहरा, डा. दीपा मेहरा, डा. पारूल बोरा, डा. नीमा बोरा, डा. राहुल कुमार आदि मौजूद रहे।

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