मानवीय दखल व घातक गैसों से ओजोन को क्षति
धरती के सुरक्षा कवच ओजोन परत पर मंडरा रहे संकट के लिए विज्ञानियों ने मानवीय दखल व घातक गैसों के बायुमंडल में घुलने को बड़ा कारण बताया।
संस, अल्मोड़ा: धरती के सुरक्षा कवच ओजोन परत पर मंडरा रहे संकट के लिए विज्ञानियों ने मानवीय दखल व घातक गैसों के वायुमंडल में घुलने को बड़ा कारण बताया। विषय विशेषज्ञों ने एक सुर से वनों के अवैज्ञानिक दोहन व घटती हरियाली पर कारगर रोक लगा ओजोन को हो रही क्षति को कम करने की जरूरत बताई, ताकि परत को हो रहे नुकसान व गैसों के प्रभाव को कम किया जा सके।
जीबी पंत राष्ट्रीय पर्यावरण शोध संस्थान कोसी कटारमल में ओजोन परत दिवस पखवाड़ा के तहत व्याख्यानमाला हुई। शुभारंभ इनविस केंद्र के समन्वयक व विज्ञानी डा. जीसीएस नेगी ने किया। उन्होंने कहा विश्व में बढ़ते प्रदूषण, जहरीली गैसों रिसाव, वृक्षों के अंधाधुंध कटान से धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। वहीं सूर्य से निकलने वाली पराबैगनी किरणों से पृथ्वी को बचाने वाली ओजोन परत को भारी क्षति पहुंच रही है। ओजोन के लिए घातक रसायनों को कम करने के मकसद से 16 सितंबर 1987 में विश्व के 125 से ज्यादा देशों ने कनाडा में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। तब से संयुक्त राष्ट्र संघ ओजोन दिवस मनाता आ रहा है।
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हरियाली बढ़ाने से घटेगा संकट: डा. कुनियाल
वरिष्ठ विज्ञानी डा. जेसी कुनियाल ने स्लाइड शो के जरिये ओजोन परत के निर्माण की क्रियाविधि से रूबरू कराया। उन्होंने हानिकर मानवीय गतिविधियां कम कर वनस्पतियों को बढ़ावा दिए जाने पर जोर दिया। कहा कि जितना बढ़ावा दिया जाएगा, घातक गैसों का प्रभाव उतना ही कम किया जा सकेगा। सह निदेशक उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) देहरादून डा. डीपी उनियाल ने भी विचार रखे।
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पुस्तक का भी विमोचन
जीआइसी स्यालीधार में जीव विज्ञान के प्रवक्ता डा. प्रभाकर जोशी ने ओजोन परत की सुरक्षा को जनजागरूकता को जरूरी बताया। इस दौरान इनविस केंद्र की ओजोन परत की सूचना विषयक पुस्तिका का विमोचन किया गया। वरिष्ठ विज्ञानी डा. आइडी भट्ट, जीआइसी द्वाराहाट के शिक्षक व पर्यावरण प्रेमी डा.जमुना प्रसाद तिवारी, डा.महेशानंद, कमल किशोर टम्टा, विजय बिष्ट, डा.रवींद्र जोशी, डा.हरीश रावत, सुमन किरौला आदि मौजूद रहीं।