मानवीय संवेदनाओं पर चोट करने लगा कोरोना
अल्मोड़ा कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार सभी की चिता बढ़ा रही है।
फोटो:: 18एएलएमपी 9
संस, अल्मोड़ा: अल्मोड़ा कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार सभी की चिता बढ़ा रही है। प्रतिदिन दर्जनों कोरोना संक्रमित मौत के मुंह में जा रहे हैं। इससे भी ज्यादा दुखद पहलू यह है महामारी ने मानवीय संवेदना को भी घायल कर दिया है। बेस अस्पताल में प्रतिदिन दर्जनों लोगों को संक्रमित होने पर भर्ती किया जा रहा है। भर्ती कराने वालों में ऐसे स्?वजन भी हैं, जो अपने पारिवारिक सदस्?य को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद उनकी ़खबर तक नहीं ले रहे हैं। वहीं मरने के बाद अंतिम संस्कार में सहयोग करने को भी राजी नहीं हैं। ऐसे लोगों को लावारिस श्रेणी में डाल उनका अंतिम संस्कार एसडीआरएफ के जवान कर रहे हैं। हालांकि ऐसे स्वजनों की संख्या बहुत कम है।
मई माह के पहले पखवाड़े तक कोरोना संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा सौ के पार पहुंच चुका है इनमें से मात्र सात मामले ऐसे सामने आए हैं जिनमें भरा-पूरा परिवार होने के बाद भी कोरोना संक्रमित की मौत के बाद स्?वजन का साथ नहीं मिला। मरने वालों में अधिकतर बुजुर्ग हैं। कोराना की चोट अब मानवीय संवेदनाओं पर भी होना प्रतीत हो रहा है।
------
ऐसे कोरोना संक्रमितों के शवों जिनकों उनके स्वजन अंतिम संस्कार के लिए लेने नहीं आए उन्हें लावारिस मानते हुए एसडीआरएफ की टीम दाह संस्कार कर रही है। अभी तक नगर के भैसोड़ा फार्म में बनाए गए श्मशान घाट में ऐसे सात लोगों का दाह संस्कार किया जा चुका है।
- देवेंद्र सिंह एसआइ, एसडीआरएफ
-----
कोरोना के भय, आíथक स्थिति और असमर्थता ऐसे लोगों की मनोदशा पर प्रभाव डालती है। हमारे देश में ऐसा नहीं है कि लोग अपने स्वजनों को भूल जाए और उनका अंतिम संस्कार न करें। ऐसा हो सकता है कि जो परिजन नहीं लेने आए उनकी आíथक स्थिति ठीक न हो या फिर घर में बडे़ लोग सभी कोरोना से ग्रस्त हों या उनके पास संदेश न पहुंचा हो।
- प्रो. मधुलता नयाल, मनोविज्ञानी, एसएसजे परिसर अल्मोड़ा
-----