अल्मोड़ा पालिका क्षेत्र में सफाई व्यवस्था धड़ाम
पर्यावरण मित्रों की बेमियादी हड़ताल से अल्मोड़ा जिला मुख्यालय की सफाई व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। बाजार क्षेत्र के साथ ही माल रोड व अन्य संपर्क मार्गो पर कूड़े कचरे के ढेर बरसात में जी का जंजाल बन गए हैं।
संस, अल्मोड़ा : पर्यावरण मित्रों की बेमियादी हड़ताल से जिला मुख्यालय की सफाई व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। बाजार क्षेत्र के साथ ही माल रोड व अन्य संपर्क मार्गो पर कूड़े कचरे के ढेर बरसात में जी का जंजाल बन गए हैं। इधर ठेका प्रथा व पर्यवेक्षकों की नियुक्ति आयोग से कराने के खिलाफ लामबंद पर्यावरण मित्रों ने जुलूस निकाल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
पदनाम बदलने समेत 11 लंबित मुद्दों पर मुखर पर्यावरण मित्रों का आंदोलन परवान चढ़ने के साथ ही नगर पालिका क्षेत्र की सफाई व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। गंदगी का अंबार बरसाती पानी के साथ नालों में पहुंचने से चोक होने का खतरा बढ़ गया है। वहीं मुख्य बाजार, मिलन चौक, एलआरसाह रोड, धारानौला, खड़ी बाजार, मल्ली बाजार आदि क्षेत्रों में कचरे के ढेर सिरदर्द बन गए हैं। लगातार बारिश से हालात और बदतर हो गए हैं। पर्यावरण मित्र नहीं सफाई सैनिक पदनाम दो
देवभूमि उत्तराखंड सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर बुधवार को भी पर्यावरण मित्र हड़ताल पर डटे रहे। प्रदेश महासचिव राजपाल पवार की अगुआई में उन्होंने जुलूस निकाल प्रदर्शन किया। पालिका परिसर में हुई सभा में पवार ने दोहराया कि पुरानी पेंशन व्यवस्था, जीवन व स्वास्थ्य बीमा का लाभ, राज्य कर्मियों की भांति वेतन भत्ते की मांग अरसे से उठाई जाती रही है। उन्होंने पर्यावरण मित्र के बजाय पदनाम सफाई सैनिक किए जाने की भी पुरजोर वकालत की। आरोप लगाया कि बीते मार्च में लंबा आंदोलन किया गया। कड़ी नाराजगी जताई कि बीते लॉकडाउन से कोरोना की दूसरी लहर में भी पर्यावरण मित्र जीजान से जुटे हैं। इसके बावजूद सरकार नहीं सुन रही। जुलूस में शाखा अध्यक्ष सुरेश केसरी, राजेश प्रधान, राजेश टाक, राजेंद्र कुमार, दीपक चंदेल, संजय कुमार, अनिल कुमार, सतीश कुमार, दीप चंद्र, दीपक सैलानी, जगदीश कुमार, हिमाशु पवार, यशपाल, कमल कुमार, भूपेंद्र कुमार आदि शामिल रहे।