सल्ट की दुरूह पगडंडियां नापने से कतरा रहे प्रत्याशी

सल्ट सीट पर चुनावी शोर चरम की ओर बढ़ने लगा है। सत्तापक्ष व विपक्ष के बची 2022 के इस सेमीफाइनल में बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर गांवों की पगडंडियों प्रत्याशियों का कड़ा इम्तिहान ले रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 06 Apr 2021 11:08 PM (IST) Updated:Tue, 06 Apr 2021 11:08 PM (IST)
सल्ट की दुरूह पगडंडियां नापने से कतरा रहे प्रत्याशी
सल्ट की दुरूह पगडंडियां नापने से कतरा रहे प्रत्याशी

संस, मानिला (अल्मोड़ा): सल्ट सीट पर चुनावी शोर चरम की ओर बढ़ने लगा है। सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच 2022 के इस सेमीफाइनल में बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर गांवों की पगडंडियां प्रत्याशियों का कड़ा इम्तिहान भी ले रही हैं। हर बार की तरह उपचुनाव में भी सड़क व स्वास्थ्य का मुद्दा सियासी दलों की बेचैनी बढ़ा रहा है। इधर दुरूह सफर तय कर सड़क सुख से वंचित गांवों तक पहुंचने के बजाय प्रत्याशी रोड पर ही सभाएं कर माहौल अपने पक्ष में करने को ताकत झोंके हैं।

पृथक पर्वतीय राज्य बनने के बाद से अब तक सरकारें बदलीं और कई बार मुख्यमंत्री भी बदले। मगर सल्ट विधानसभा क्षेत्र की तस्वीर न बदल सकी। स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाला सल्ट क्षेत्र आज भी सड़क व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहा। आलम यह है कि विषम भौगोलिक हालात वाले इस क्षेत्र में तमाम गांव हैं जिन्हें सड़कों से नहीं जोड़ा जा सका है। पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी के कार्यकाल में रथखाल तोलबुधानी रोड का अब तक निर्माण न होने से वहां के वाशिंदों ने उपचुनाव में मतदान न करने का एलान भी किया है।

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तब सीएम चंद्रभान ने निभाया था वादा

1960 में हुए सल्ट उपचुनाव में कद्दावर नेता लक्ष्मण सिंह अधिकारी ने तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रभान गुप्ता के लिए सीट छोड़ी थी। तब उन्होंने सीट के बदले सड़क की माग रखी। उस दौर में मरचूला के सांकर तक ही सड़क सुविधा थी। उपचुनाव जीतने के बाद सीएम चंद्रभान ने वादा पूरा किया। मरचूला से मौलेखाल व मानिला होते हुए जैनल तक सड़क निर्माण कराया। इस सड़क को चंद्रभान गुप्ता रोड भी कहा जाता है। मगर उत्तराखंड गठन के बाद यह सड़क भी बदहाल हो चली है।

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सड़कें जो वर्षो से हवा में लटकीं

= वर्ष 2007 में पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी ने सबोली बैंड तोलबुधानी रोड की घोषणा की थी। प्रति शून्य। सड़क बनने से चार ग्रामपंचायतों की लगभग तीन हजार आबादी को लाभ होता।

= वर्ष 2004-05 में हरड़ा-भकियासैंण रोड स्वीकृत हुई। वन भूमि का रोड़ा अब तक दूर नहीं हुआ। डेढ़ हजार की आबादी वंचित।

= शहीद हीरा सिंह रथखाल तोलबुधानी रोड भी 14 वर्षो से लटकी।

= थला-भीताकोट रोड भी एक दशक से नहीं बनी।

= स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हरक राम की स्मृति में झिमार से तल्ला बिरल गाव तक स्वीकृत सड़क के निर्माण में भी वनभूमि का पेच

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हमने तोलबुधानी के लोगों को कार्यालय बुलाया। समझाया कि लोकतंत्र के इस महोत्सव में मताधिकार का इस्तेमाल करें। उन्हें भरोसा दिलाया है कि आचार संहिता समाप्त होते ही सड़क निर्माण के लिए प्रशासनिक स्तर पर ठोस प्रयास किए जाएंगे।

- राहुल शाह, एसडीएम एवं रिटर्निग अफसर सल्ट

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