अल्मोड़ा के कार्मिकों ने की चेतावनी की आलोचना
अल्मोड़ा जिला के काíमक एकता मंच ने सरकार की ओर से कर्मचारियों को दी गई चेतावनी की निंदा की है।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : काíमक एकता मंच ने सरकार की ओर से कर्मचारियों को दी गई चेतावनी की आलोचना की है। कहा है कि पिछले कई महीनों से अपनी मांगों को लेकर सरकार का ध्यानाकर्षण कर रहे कर्मियों को चेतावनी दिया जाना कतई ठीक नहीं है।
मंच के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेंद्र कुमार पाठक ने कहा है कि उत्तराखंड में जिस तरह आंदोलन या हड़ताल- प्रदर्शन करने पर बर्खास्तगी की चेतावनी कर्मचारियों को दी गई है, शायद ही ऐसा पूर्व में हुआ हो। कोरोना से निपटने के लिए सभी सहयोग दे रहे हैं, लेकिन काíमकों को चेतावनी देना किसी भी स्तर से ठीक नहीं है। उनका कहना है कि ज्वलंत समस्याओं का निराकरण जब सरकार, शासन, विभाग द्वारा नहीं किया जाता है, तब कर्मचारी व शिक्षक आंदोलन को बाध्य होते हैं। उनका यह भी कहना है कि हड़ताल करना कर्मचारी संगठनों का शौक नहीं है। राज्य सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह ज्वलंत मुद्दों का हल निकाले। ऐसी स्थिति में हड़ताल व धरना-प्रदर्शन जैसी स्थिति ही नहीं आएगी। यह नीति उचित नहीं है। पाठक ने कहा है कि सरकार को समस्याओं के निराकरण में गंभीरता दिखानी होगी और इस आदेश को अविलंब वापस लेना चाहिए। साथ ही सभी मुद्दों पर चर्चा व वार्ता हेतु विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करना चाहिए। सरकार काíमकों से जो भी सहयोग के लिए कहेगी, दिया जाएगा। लेकिन समस्याओं के निराकरण के लिए काíमकों को खुले मन से वार्ता के लिए बुलाया जाना चाहिए। आगे कहा कि राज्य निर्माण के दौरान काíमकों द्वारा 94 दिन की हड़ताल इस बात के लिए नहीं की गई थी कि आने वाले समय में ऐसे तुगलकी फरमान जारी होंगे। मंच का कहना है कि संवाद को हर हाल में कायम करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।