यमुना रक्षक दल अध्यक्ष जयकृष्ण दास बोले - 'स्वस्थ राष्ट्र निर्माण के लिए गिलोय को घोषित करें राष्ट्रीय औषधि'
वाराणसी में शनिवार को महमूरगंज में विभिन्न सामाजिक संस्था के प्रतिनिधियों को गिलोय औषधि को राष्ट्रीय औषधि घोषित कराने के लिए विचार विमर्श किया। गिलोय के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाने का आग्रह किया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। यमुना रक्षक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत जयकृष्ण दास ने प्रबोधनी फाउंडेशन की ओर से गिलोय औषधि के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे अभियान का समर्थन किया है। शनिवार को महमूरगंज में विभिन्न सामाजिक संस्था के प्रतिनिधियों को गिलोय औषधि को राष्ट्रीय औषधि घोषित कराने के लिए विचार विमर्श किया। गिलोय के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अभियान चलाने का आग्रह किया।
इसके लिए उन्होंने सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को संकल्प भी दिलाया। संत जयकृष्ण दास ने कहा कि कोरोना महामारी में गिलोय औषधि रामबाण साबित हुई है। आयुर्वेद में इसे अमृता कहा जाता है। जो डेंगू, डायबिटीज, ट्यूबर क्लोसिस, चर्म रोग, कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों के इलाज में कारगर है। भारत सरकार से राष्ट्रीय औषधि घोषित कराने के लिए चरणबद्ध सृजनात्मक कार्यक्रम किया जाएगा। इसके लिए सभी से सहयोग के साथ ही अभियान चलाकर कई कार्यक्रमों के आयोजन के जरिए सरकार से पहल करने की अपील की जाएगी। इसकी वजह से सरकार पर भी आयुर्वेद के इस ज्ञान को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर फैसला लेकर एक बड़ा काम गिलोय के जरिए जीवन रक्षा का किया जाएगा।
उन्होंने इस औषधि के महत्व को बताते हुए कहा कि यह वात, पित्त और कफ तीनों रोगों के उपचार में कारगर है। कोरोना काल में भी गिलोय से लोगों को काफी फायदा मिला है। गिलोय की वजह से लोगों का अन्य रोग भी दूर हो रहा है। फीफ कोई भी रोग शरीर में इन तीनों में से किसी एक व्याधि के आने से ही होता है। अगर व्यक्ति गिलोय का सेवन करेगा तो वात,पित्त और कफ तीनों व्याधि शरीर में प्रवेश ही नहीं करेगा। प्रतिदिन गिलोय का सेवन करने वालों को कोरोना संक्रमित नहीं कर पाया। जिनको संक्रमित किया भी वह गिलोय से ठीक हुए हैं। कार्यक्रम में विनय शंकर राय, हरीश मिश्रा, योगीराज पटेल, आजाद आनंद, अरविंद यादव, बब्बू पटेल, करतार सिंह थे।