काशी से प्रयागराज - चित्रकूट - अयोध्या धाम का चार दिनी टूर पैकेज बनाएगा डब्ल्यूटीए
टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन प्रयाग - चित्रकूट - अयोध्या को काशी के टूरिस्ट प्लान से जोड़ने जा रहा है। उत्तर प्रदेश पर्यटन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय (17 अगस्त से 19 अगस्त) फ़ैम टूर से लौटने के साथ इसका खाका तैयार कर लिया है।
वाराणसी, जेएनएन। टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन प्रयाग - चित्रकूट - अयोध्या को काशी के टूरिस्ट प्लान से जोड़ने जा रहा है। उत्तर प्रदेश पर्यटन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय (17 अगस्त से 19 अगस्त) फ़ैम टूर से लौटने के साथ इसका खाका तैयार कर लिया है। इस आध्यात्मिक सर्किट का तीन-चार दिन का टूर पैकेज बनाया जाएगा। वाराणसी के आसपास के सभी पर्यटक स्थलों की सम्पूर्ण जानकारी प्रकाशित कर टूरिस्ट सर्किट से जोड़ा जाएगा। टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन (टीडब्लूए) के अध्यक्ष राहुल मेहता ने बताया कि उत्तर प्रदेश पर्यटन के संयोजन में संस्था द्वारा जौनपुर , सोनभद्र , चुनार-मिर्ज़ापुर के टूर के बाद प्रयागराज - चित्रकूट - अयोध्या का भ्रमण किया गया जिसका उद्देश वाराणसी के आसपास सभी प्रमुख ईको व धार्मिक पर्यटक स्थलों को जोड़ कर एक केंद्रिकृत पैकिज बनाना है। संस्था द्वारा भ्रमण की सम्पूर्ण रिपोर्ट उत्तर प्रदेश पर्यटन को जल्द ही दी जाएगी।
डब्ल्यूटीए अध्यक्ष राहुल ने बताया कि यात्रा के प्रथम दिन सदस्यों ने प्रयागराज के ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया। इसमें प्रमुख रूप से भारद्वाज आश्रम गये। य। वही स्थल है जो कभी ऋषि भारद्वाज का आश्रम था और जहां राम उनसे मिले थे। वहीं 150 साल पुराने अल्फ्रेड पार्क का विजिट किया। यह वह सार्वजनिक पार्क है जिसे सक्से-कोबर्ग और गोथा के राजकुमार अल्फ्रेड की दिसंबर 1869 में इलाहाबाद यात्रा के लिए बनाया गया था। बाद में इसका नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद कर दिया गया।सदस्यों ने उसके बाद इलाहाबाद संग्रहालय - थॉर्नहिल मेने मेमोरियल का दौरा किया, शाम को विरासत की सैर के लिए खुसरो बाग गये जिसे 16 वीं शताब्दी के मुगल समाधि के लिए जाना जाता है। यहां सदस्यों के साथ क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह भी थीं ।
दूसरे दिन सदस्यों ने चित्रकूट का भ्रमण किया इसमें मुख्यतः राम दरबार, पहाड़ों के बीच दो गुफाओं के रुप में स्थित गुप्त गोदावरी (जहां वनवास के दौरान भगवान राम रुके थे) कि दर्शन किया। उसके बाद मंदाकिनी तट पर सती अनुसुइया स्फटिक शिला (यह एक चट्टान है उसमें भगवान राम और सीता के पैरों के निशान है), कामथनाथ मंदिर व पर्वत, हनुमान धारा (यहाँ के बारे में कहा जाता है कि जब हनुमान जी ने लंका में आग लगाई उसके बाद उनकी पूंछ में लगी आग को बुझाने के लिए वो इस जगह आये जिन्हे भक्त हनुमान धारा कहते हैं) के साथ ही चित्रकूट के सभी स्थलों का भ्रमण करते हुए राम घाट की विरासतयात्रा की और आरती में सम्मिलित हुए । चित्रकूट भ्रमण के दौरान क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी शक्ति सिंह साथ थे।
तीसरे दिन दल ने अयोध्या धाम का भ्रमण में रामजन्मभूमि, राम की पैड़ी, हनुमानगढ़ी, दशरथ महल, कनक भवन सहित विभिन्न मठ-मंदिरो पौराणिक क्षेत्रों का भी भ्रमण करते हुए सरयू घाट पहुंच कर घाट पर भव्य आरती में सम्मिलित हुए। पर्यटन उद्योग से जुड़े विभिन्न होटल उद्यमी व ट्रैवल ऐजेंट्स से मुलाक़ात कर काशी और अयोध्या धाम को सीधे जोड़ने पर चर्चा की। अयोध्या धाम में भ्रमण के दौरान उप निदेशक पर्यटन राजेंद्र प्रसाद, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी दीपांकर चौधरी, क्षेत्रीय सहायक पर्यटन अधिकारी विकास नारायण उपस्थित थे ।