विश्व ट्रामा दिवस : कोरोना काल में सड़क दुर्घटना से अधिक छत से गिरकर घायल हुए लोग

कोरोना की पहली लहर यानी 2020 में सड़क दुर्घटना से अधिक छत पेड़ या अन्य स्थानों से गिरकर घायल होने वाले यहां आए। इसका एक मुख्य कारण यह था कि कोराना काल में बीएचयू के दोनों ही अस्पतालों का इमरजेंसी वार्ड निरंतर चलते रहा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 01:23 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 01:23 PM (IST)
विश्व ट्रामा दिवस : कोरोना काल में सड़क दुर्घटना से अधिक छत से गिरकर घायल हुए लोग
2020 में सड़क दुर्घटना से अधिक छत, पेड़ या अन्य स्थानों से गिरकर घायल होने वाले यहां आए।

वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्‍तव]। पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के ट्रामा सेंटर काशी या पूर्वांचल ही नहीं कई राज्यों के मरीजों के लिए सहारा है। यहां पर हरसाल पश्चिमी बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड के हजारों मरीज आते हैं। खासकर सड़क दुर्घटना, कोई आपदा हो या गोली लगने से घायल। सभी का यहां पर संपूर्ण उपचार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में पूर्वांचल के सबसे बड़े 334 बेड वाले इस ट्रामा सेंटर का लोकापर्ण किया था। इसके बाद से इसमें लगातार सुविधाएं बढ़ती गई। पिछले ही माह यहां पर ट्राएज एरिया, डे केयर सेंटर की सुविधा बढ़ाई गई। जल्द ही यहां पर लैब की भी व्यवस्था शुरू होने वाली है। यहां पर जो अध्ययन हुए हैं इससे एक चौकाने वाला तथ्य सामने आया है। कोरोना की पहली लहर यानी 2020 में सड़क दुर्घटना से अधिक छत, पेड़ या अन्य स्थानों से गिरकर घायल होने वाले यहां आए। इसका एक मुख्य कारण यह था कि कोराना काल में बीएचयू के दोनों ही अस्पतालों का इमरजेंसी वार्ड निरंतर चलते रहा।

ट्रामा सेंटर के आचार्य प्रभारी प्रो. सौरभ सिंह बताते हैं कि ट्रामा सेंटर एवं सुपरस्पेशिएलिटी चिकित्सालय में इसी माह 14 बेड का रेड एरिया (ट्राएज) व 10 बेड के डिजास्टर (आपदा) वार्ड शुरू किया गया। इनमें पूर्ण रूप से उन्नत किस्म का आटो पल्स सीपीआर मशीन, पोर्टेबल वेंटिलेटर, बेड साइड रेडियोलाजी आदि की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही 20 बेड के डे-केयर वार्ड में आर्थोपेडिक्स व प्लास्टिक सर्जरी की डे केयर की आधिनक सुविधा तैयार की गई। यह सुविधाएं बढ़ने से मरीजों के त्वरित इलाज, अनियंत्रित भीड़-भाड़ व परिजनों की सुविधाओं लाभ मिल रहा है। वहीं प्राकृतिक या अन्य आपदा की स्थिति में आइसीयू में बेड की कमी होने की सूरत में आपातकालीन मरीजों की त्वरित चिकित्सा के लिए पांच बेड का एक पोस्ट आपरेटिव वार्ड भी शुरू किया गया है। इसके साथ ही रेजिडेंट डाक्टरों शिक्षण, प्रशिक्षण के लिए ई-लर्निंग कांफ्रेंस हाल की भी शुरूआत की गई। साथ ही इंफ्यूजन पंप की भी व्यवस्था की गई हैं। इसके माध्यम से 15 मिनट में ही खून चढ़ जाएगा। साथ ही पोर्टेबल एक्स-रे मशीन लगाई गई है।

भविष्य में ये भी बढ़ेंगी सुविधाएं:

- डिजिटल सब्सट्रेक्शन एंजियोग्राफी, ओ-आर्म, इंडोस्कोपिक, स्पाइन प्रोसिजर आदि उन्न्त उपकरणों से युक्त चार नए आपरेशन थियेटर जल्द ही स्थापित होंगे।

- लावारिस मरीजों या शवों के पहचान के लिए आधुनिक यूआइडीएआइ सिस्टम का संचालन होगा।

- वूंड मैनेजमेंट (घाव प्रबंधन) के लिए हाइपरबेरिक आक्सीजन चेंबर की स्थापना होगी।

- हार्ट एवं लंग्स फेल्योर मरीजों के सुविधापूर्ण इलाज के लिए ईसीएमओ मशीन लगाई जाएगी।

- पोर्टेबल कम्प्युटेड टोमोग्राफी मशीन की भी स्थापना की जाएगी।

वर्षवार ट्रामा सेंटर में आए मरीज

वर्ष सड़क दुर्घटना गिरकर

2015 4562 812

2016 3068 8848

2017 5673 8408

2018 6479 9440

2019 6479 9268

2020 9562 12345

2021 8546 6399

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