विश्व पर्यटन दिवस 2020 : किसी हिल स्टेशन से कम नहीं मीरजापुर में विंध्य क्षेत्र की वादियां

विंध्य पर्वत की प्राकृतिक सौम्यता को देखकर आप यह कह ही नहीं सकते कि यह सूखी धरती है। कश्मीर जैसी सुंदरता बिखेर रहे विंध्य क्षेत्र की वादियों में पहाड़ी झरने हों या पहाड़ में हरियाली। ऐसा लगता है मानों आसमान भी इस सुंदरता को निहारने नजदीक से आ रहा हो।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 06:30 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 09:23 AM (IST)
विश्व पर्यटन दिवस 2020 : किसी हिल स्टेशन से कम नहीं मीरजापुर में विंध्य क्षेत्र की वादियां
विंध्य पर्वत व चुनार किला के आसपास पुरातात्विक संपदा जगह-जगह बिखरी है।

मीरजापुर, जेएनएन। विंध्य पर्वत की प्राकृतिक सौम्यता को देखकर आप यह कह ही नहीं सकते कि यह सूखी धरती है। कश्मीर जैसी सुंदरता बिखेर रहे विंध्य क्षेत्र की वादियों में पहाड़ी झरने हों या फिर पहाड़ में हरियाली। ऐसा लगता है मानों आसमान भी इस सुंदरता को निहारने नजदीक से आ रहा हो।

विंध्य पर्वत व चुनार किला के आसपास पुरातात्विक संपदा जगह-जगह बिखरी है। प्रशासनिक उपेक्षा के चलते तमाम ऐतिहासिक भवन, मंदिर, मठ, संरक्षण के अभाव में खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं। वहीं पहाड़ों में कल-कल करते पहाड़ी झरना जंगल में मंगल साबित हो रहे हैं। ऐसे ही पहाड़ी झरनों में विंढमफाल, खड़ंजा, लखनिया दरी, कुशियरा फाल, टांडा फाल, सिद्धनाथ दरी, चुनादरी, लोअर खजुरी, खजुरी आदि है। ऊपर से जब झरना गिरता है तो कोलाहल के साथ अजीब सी चुंबकीय शक्ति का एहसास कराता है। ऐसे तमाम झरने इन विंध्य पर्वत श्रेणियों में विद्यमान हैं जिनके पास जाने में असीम शांति का अनुभव होता है। यदि जनप्रतिनिधि व बुद्धिजीवी वर्ग सरकार से यहां के संरक्षण, सवंर्धन की मांग करें तो विंध्य क्षेत्र किसी हिल स्टेशन से कम नहीं होगा।

पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है देश की अर्थव्यवस्था

आजकल के समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी परेशानी से घिरा हुआ है। पैसे और चकाचौंध के बीच ऐसा लगता है मानो खुशी तो कहीं गुम हो गई है। इन सबके बावजूद हर व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ समय ऐसा जरूर निकालना चाहिए जिससे वो अलग-अलग जगहों का पर्यटन करे और खुशियों को फिर से गले लगा सके। इसके लिए विश्व पर्यटन दिवस सबसे अच्छा मौका है। हर साल 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। पर्यटन सिर्फ हमारे जीवन में खुशियों के पल को वापस लाने में ही मदद नहीं करता है बल्कि यह किसी भी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज के समय में जहां हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है वहीं कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है।

पर्यटन की दृष्टि से महत्वपर्ण है चुनार का ऐतिहासिक दुर्ग

कोरोना के चलते लगभग छह माह से अधिक समय से पर्यटकों का आना-जाना बंद है। पर्यटकों के न आने से पर्यटन से जुड़े लोगों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। चुनार का ऐतिहासिक दुर्ग पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के बाद भी उपेक्षा का शिकार है। दुर्ग में रानी सोनवा का मंडप, बाबा भतृहरि नाथ की समाधि, वारेन हेंस्टिंग्‍स का बंगला, धूपघड़ी आदि मौजूद है। जिसे देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। बावजूद इसके दुर्ग के विकास, सुरक्षा व उसके संरक्षण पर विभाग का ध्यान नहीं है। शौचालय, पेयजल, बैठने की व्यवस्था के साथ ही आसपास ठहरने व मन मुताबिक खान-पान की सुविधा न मिलने के कारण प्राय: पर्यटक दुर्ग भ्रमण कर जल्द ही वापस होना चाहते हैं। सुविधा संसाधन के अभाव के कारण पर्यटकों का आना भी कम हो गया है। पर्यटन से जुड़े व्यवसासियों का कहना है कि कोरोना के चलते आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है, जो पटरी पर आने में वक्त लगेगा। अगर चुनार दुर्ग पर सरकार की नजर पड़े तो निश्चित रूप से पर्यटकों के आने में बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही आर्थिक विकास होने की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।

सीधे कोलकाता से था चुनार का व्यापारिक संबंध

विंध्य क्षेत्र के बीच स्थित होने के कारण चुनार क्षेत्र भी ऋषियों-मुनियों, महर्षियों, राजर्षियों, संत-महात्माओं, योगियों-सन्यासियों, साहित्यकारों इत्यादि के लिए आकर्षण के योग्य क्षेत्र रहा है। चुनार प्राचीन काल से आध्यात्मिक, पर्यटन और व्यापारिक केंद्र के रूप में स्थापित है। गंगा किनारे स्थित होने से इसका सीधा व्यापारिक संबंध कोलकाता से था और वनों से उत्पादित वस्तुओं का व्यापार होता था। चुनार किला और नगर के पश्चिम में गंगा, पूर्व में पहाड़ी जरगो नदी उत्तर में ढाब का मैदान व दक्षिण में प्राकृतिक सुंदरता का विस्तार लिए विंध्य पर्वत की श्रृंखलाएं हैं। इसमें अनेक जलप्रपात, गढ़, गुफा और घाटियां हैं। 

शक्ति का शाश्वत लीलाभूमि रहा है ध्यधाम

धार्मिक दृष्टि से मीरजापुर यूपी का एक महत्वपूर्ण जनपद है। विंध्य पर्वत के सुरम्य आंचल में बसा विंध्याचल शक्ति का शाश्वत लीलाभूमि रहा है। विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी का निवास स्थान है। विंध्य पर्वत पर मां अष्टभुजा, मां काली भी विराजमान हैं। नवरात्र के समय देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु विंध्यधाम आते हैं। विंध्याचल दर्शन के बाद त्रिकोण परिक्रमा करते हैं। त्रिकोण मार्ग पर सीताकुंड भी है। यही नहीं विंध्याचल के कुछ ही दूरी पर शिवपुर है जिसे छोटा रामगया घाट के नाम से जाना जाता है।

खूबसूरत झरने और कुदरती नजारों को निहारना हो तो आइए मीरजापुर...

यूपी टूरिज्म ने भी कल-कल करती मीरजापुर के जलप्रपात खड़ंजा फाल की तस्वीर ट््िवटर पर ट््िवट कर उसकी खूबसूरती की तारीफ की है। लिखा है कि दूर तलक फैली हरियाली के बीच झरने की ठंडी फुहारें आपको भिगो दे तो सोचिए कितना मजा आएगा। खूबसूरत झरने और कुदरती नजारों को निहारना हो तो आइए मीरजापुर। यूपी टूरिज्म के इस ट््िवट पर एक सख्स ने लिखा कि जब आप खड़ंजा फाल जाएं तो पास में ही विंढमफाल जरूर जाएं। प्रकृति के साथ एक अच्छा साक्षात्कार हो सकता है। यूपी टूरिज्म के इस ट््िवट को चार घंटे के अंदर 114 लाक्स मिल चुके थे।

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