वाराणसी में गंगा किनारे की सफाई कर मनाया विश्व नदी दिवस, नमामि गंगे के कार्यकर्ताओं ने संरक्षण का लिया संकल्‍प

26 सितंबर विश्व नदी दिवस के अवसर पर नमामि गंगे ने राजघाट पर जीवनदायिनी नदियों के संरक्षण का संकल्प लिया । भारतीय जीवन का अभिन्न अंग मां गंगा के तट की सफाई की गई । राजघाट पर बिखरे पड़े पॉलिथीन एवं अन्य सामग्रीयों को कूड़ेदान तक पहुंचाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 05:07 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 05:07 PM (IST)
वाराणसी में गंगा किनारे की सफाई कर मनाया विश्व नदी दिवस, नमामि गंगे के कार्यकर्ताओं ने संरक्षण का लिया संकल्‍प
विश्व नदी दिवस के अवसर पर नमामि गंगे ने राजघाट पर जीवनदायिनी नदियों के संरक्षण का संकल्प लिया ।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। 26 सितंबर विश्व नदी दिवस के अवसर पर नमामि गंगे ने राजघाट पर जीवनदायिनी नदियों के संरक्षण का संकल्प लिया। भारतीय जीवन का अभिन्न अंग मां गंगा के तट की सफाई की गई । राजघाट पर बिखरे पड़े पॉलिथीन एवं अन्य सामग्रीयों को कूड़ेदान तक पहुंचाया। पितृ पक्ष के अवसर पर हजारों की संख्या में उपस्थित नागरिकों को लाउडस्पीकर द्वारा गंगा किनारे गंदगी न करने का आवाह्न किया गया । नमामि गंगे टीम के सदस्यों ने राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण हेतु राष्ट्रध्वज और स्वच्छता स्लोगन लिखी तख्तियों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया । नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा की विश्व नदी दिवस के अवसर पर हम सभी हमारी नदियों को साफ़ और स्वच्छ रखने का प्रण लें। प्रकृति ने हमारे देश को गंगा और यमुना जैसी पवित्र और महत्वपूर्ण नदियां दी हैं। यदि हम वास्तव में उनका सम्मान करते हैं तो उनकी देखरेख करें और कभी उन्हें गन्दा नहीं करना चाहिए।

हमारी संस्कृति हमें नदियों सहित प्रकृति की पूजा करना सिखाती है। आइये हम देश की जीवनरेखा अपनी नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाएं और उनकी सार-संभाल करें। आयोजन में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, महानगर सहसंयोजक शिवम अग्रहरी, सीमा चौधरी, सत्यम जायसवाल, सोनू, प्रियवंदा गुप्ता आदि शामिल रहे । राजेश शुक्ला गंगा सेवक संयोजक नमामि गंगे काशी क्षेत्र, सहसंयोजक गंगा विचार मंच काशी प्रांत, सदस्य जिला गंगा समिति वाराणसी , ब्रांड अंबेसडर ( स्वच्छता दूत ) नगर निगम वाराणसी।

विश्व की सभी प्राचीन सभ्यतायें नदियों के किनारे ही विकसित, पुष्पित और पल्लवित हुई है

नदियां हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। नदियां जीवन दायिनी हैं। प्राकृतिक रुप से बहुत सारे जीव-जन्तु और प्राणी जल के लिए नदियों पर ही निर्भर हैं, लेकिन पर्यावरण में फैलता हुआ प्रदूषण नदियों के लिए अभिषाप बन गया है। सबको जीवन देने वाली नदियों का अस्तित्व खुद खतरें में हैं। कुछ नदियां अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी हैं तो कुछ लुप्त होने की कगार पर हैं। ऐसे में नदियों का सरंक्षण करना अति आवश्यक हो गया है। नदियों के संरक्षण की कामना से 26 सितम्बर रविवार को विश्व नदी दिवस मनाया जाएगा। इस दिवस को मनाने की शुरुआत 2005 से प्रारम्भ हुयी है। प्रतिवर्ष सितंबर के आखिरी रविवार को मनाए जाने वाले विश्व नदी दिवस पर लाखों लोग, दर्जनों देश और अनगिनत अंतर्राष्ट्रीय संगठन अपने अपने तरह से योगदान करते हैं। विश्व नदी दिवस लोगों को नदियों का आनंद उठाने का मौका प्रदान करता है।

साथ ही यह दिवस नदियों और झरनों को बचाने के लिए महत्वपूर्ण ढंग से जागरूकता भी फैलाता है। औद्योगिक विकास, मानव द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण और कई स्वार्थ के कारण अनेक नदियां आज मृतप्राय होती जा रही हैं। प्रदूषित और बीमार इन नदियों को आज संरक्षित करने की जरूरत है। विश्व की सभी प्राचीन सभ्यतायें नदियों के किनारे ही विकसित, पुष्पित और पल्लवित हुई है। नदियां जहां स्वच्छ जल का संवाहक होती हैं वहीं आखेट, कृषि, पशुपालन तथा यातायात का संवाहिका भी होती हैं। एशिया महाद्वीप का हिमालय पर्वत अनेक नदियों का उद्गम स्रोत है। गंगा, यमुना, सिन्धु, झेलम, चिनाव, रावी, सतलज, गोमती, घाघरा, राप्ती, कोसी, हुबली तथा ब्रहमपुत्र आदि सभी नदियों का उद्गम स्रोत हिमालय ही है। ये सभी नदियां हिन्द महासागर में जाकर समाहित हो जाती है । हिन्दू धर्म में माता की तरह हितकारिणी नदियों को देवी के रूप में पूजा जाता है।

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