World Radio Day 2021 : रेडियो पर कभी काशी के लाल की आवाज और आज पीएम के 'मन की बात'

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री की आवाज रेडियो यानि आकाशवाणी पर गूंजी तो एक पीढ़ी उनकी मुरीद बन गई। दूसरी ओर वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवाज मन की बात की बात के जरिए जन जन को जोड़ने का आज माध्‍यम बन चुका है।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Sat, 13 Feb 2021 10:24 AM (IST) Updated:Sat, 13 Feb 2021 11:02 AM (IST)
World Radio Day 2021 : रेडियो पर कभी काशी के लाल की आवाज और आज पीएम के 'मन की बात'
13 फरवरी को विश्‍व रेडियो दिवस मनाया जाता है।

वाराणसी, जेएनएन। काशी की दो आवाज देश में रेडियो की ऐसी पहचान बनी मानो बनारस की आवाज विश्‍व भर में बुलंदी की ओर अब अग्रसर है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री की आवाज रेडियो यानि आकाशवाणी पर गूंजी तो एक पीढ़ी उनकी मुरीद बन गई। दूसरी ओर वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवाज 'मन की बात' की बात के जरिए देश में संवाद और विकास के साथ ही जन जन को जोड़ने का आज माध्‍यम बन चुका है। 

23 सितंबर 1965 की एक उमगती शाम, शहर की दिनचर्या अपनी रफ्तार में। हर शख्स अपनी रौ में, हर हाथ के पास अपना काम। देर शाम कोई आठ बजे अचानक बिजली कटौती से समूचा शहर घटाटोप अंधेरे में डूब जाता है। थानों से बज उठे सायरनों की चीख से नगर का हर टोला मोहल्ला कुशंकाओं के गहरे समंदर में समा जाता है। यह अचानक आखिर हुआ क्या। यह जानने समझने को बस एक रेडियो का ही सहारा। ...और जिस किसी के पास रेडियो की सुविधा उपलब्ध, उसके दुआर पर उमड़ पड़ता है इलाके का आलम सारा। धड़ाधड़ बैंड पर बैंड बदले जाते हैं। हर बैंड से गूंजते कौमी तरानों की धुन के बीच आकाशवाणी के समाचार उद्घोषकों देवकीनंदन पांडेय, अशोक वाजपेई और इंदू वाही के स्वरों में बस एक ही सूचना, सिर्फ थोड़ी देर प्रतीक्षा करें, प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री कैबिनेट मंत्रियों की आपात बैठक के बाद राष्ट्र के नाम संदेश प्रसारित करने वाले हैं। 

अस्सी प्लस की उम्र से गुजर रहे वरिष्ठ नागरिक उदयनारायण पांडेय बताते हैं- ठीक-ठीक समय त याद नाहीं हौ एतना जरूर याद हव कि करीब पौन घंटा के बाद शास्त्रीजी क ललकार सुनायल, जेकर लब्बो लुआब इ रहल- प्यारे देशवासियों पड़ोसी देश पाकिस्तान ने देश पर हमला कर दिया है। अभी-अभी सूचना मिली है कि दुश्मन के जहाजों ने सीमा का उल्लंघन कर हमें चुनौती दी है। गर्व है कि हमारी जांबाज वायु सेना ने उन्हेंं खदेड़ भगाया है। हमारी तीनों सेनाएं लगातार आगे बढ़ रही हैं। आप सबसे अपील है कि समूचे देशवासी एकजुटता के साथ इस नापाक हरकत का जवाब दें। जो जहां है वहीं से सिपाही बनकर देश को अपना योगदान दे... जय हिंद! जय जवान-जय किसान! पीएम का यह आह्वान कानों तक पहुंचने के कुछ ही समय बाद पूरा देश अंगड़ाई लेकर एक मन एक प्राण हो साथ खड़ा हो जाता है। युद्ध के कमान में जवान जागते रहे, खेत खलिहान में किसान जागते रहे, कारखानों में सभी कामगार जागते रहे, हर नगर डगर में पहरेदार जागते रहे। यकीन मानिए लगभग एक महीने से भी ज्यादा चले युद्ध के विराम तक समूचा देश जैसे फौलादी मुट्ठी की तरह एक संग बंधकर अड़ा रहा। रेडियो अनवरत देशवासियों को युद्ध के समाचारों से अवगत कराता रहा। कब कौन सा मोर्चा

फतह हुआ और कहां पर दुश्मन पीठ दिखाकर भाग खड़े हुए, यह रेडियो के जरिए हर रोज देश को पता चलता रहा। आकाशवाणी की अपीलों का ही असर था कि बड़े बुजुर्ग तक घर के बाहर निकल घोषित ब्लैक आउट की निगरानी करने लगे। नौजवान चाय के हंडे लेकर स्टेशन-स्टेशन रेल से सीमा की ओर गुजर रहे सैनिकों की खिदमत बजाने लगे। किशोर उम्र के बच्चों ने स्वेच्छया संभाला शहर का ट्रैफिक और बच्चियों द्वारा रात-दिन जागकर बुने गए स्वेटरों के गठ्ठर सीमा तक जाने लगे।

एक और अपील जो बन गई प्रतिज्ञा

किसी कठिन काल में रेडियो के जरिए ही प्रधानमंत्री शास्त्री ने एक वक्त के

उपवास की अपील जनता तक पहुंचाई। नागरिकों ने भी भीष्म प्रतिज्ञा की तरह शास्त्री जी को दी गई यह कसम निभाई।

लोहा सिंह का वह फौलादी लोहा

वर्ष 1965 के रेडियो की बात करें और लोहा सिंह की चर्चा का दौर न आए ऐसा हो कैसे सकता है। इसी शीर्षक के नाट्य रूपांतरण के प्रसारण ने तब लोकप्रियता के सारे कीॢतमान ध्वस्त कर दिए। रेडियो पाकिस्तान के झूठे कुप्रचारों के खिलाफ रेडियो झूठीस्तान के नाम से प्रसारित नाटक के नायक लोहा सिंह की धर्मपत्नी खदेरन की मदर तथा पाकिस्तानी सैनिकों को परोसे जाने वाले काल्पनिक व्यंजन बिस्कुट के भुरकुस का मुरब्बा तो मानो लोगों के तकिया कलाम बन गए थे।

माह के आखिरी रविवार का इंतजार

पीएम नरेंद्र मोदी के मन की बात का आयोजन प्रत्‍येक माह के आखिरी सोमवार को होती है। इस दौरान काशी के गांव गली और मोहल्‍लों में लोग आकाशवाणी यानि आल इंडिया रेडियो पर अपने सांसद और देश के प्रधानमंत्री के मन की बात सुनकर लोग उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं। रेडियो पर मन की बात सुना जाने वाला सबसे चर्चित कार्यक्रम भी है। इसमें पीएम देश के विकास और लोगों के सार्थक प्रयास से देश के विकास पर चर्चा कर लोगों को और बेहतर करने के लिए प्रेरित भी करते हैं। 

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