विश्व उच्च रक्तचाप दिवस : Ayurveda में उच्च रक्तचाप को बिना किसी साइडइफेक्ट के करें नियंत्रित

औषधियां हमारे रक्तचाप को कम करने के साथ ही नींद में बढ़ोत्तरी करेंगी और दिमाग भी काफी शांत रहेगा। उन्होंने बताया कि यदि हाइपरटेंशन की समस्या बहुत ज्यादा है और ब्लड प्रेशर नियंत्रण से बाहर है तो इस स्थिति में तत्काल डाक्टर को ही दिखाएं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 09:10 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 01:43 PM (IST)
विश्व उच्च रक्तचाप दिवस : Ayurveda में उच्च रक्तचाप को बिना किसी साइडइफेक्ट के करें नियंत्रित
आयुर्वेद में देखें तो ऐसी तमाम औषधियां हैं जिनसे किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता

वाराणसी, जेएनएन। World hypertension day कोविड से उपजी विपरीत परिस्थितियों से कई लोग हाइपरटेंशन के भी शिकार हो रहे हैं। अनियंत्रित तनाव और डर नसों की नलिकाओं पर लगातार खून का दबाव लगातार बढ़ने से यह दिक्कत काफी बढ़ गई है। हम अब इससे परेशान होकर एलोपैथ में जाते हैं, आराम तो कुछ दिनों के लिए मिल जाता है मगर उससे और कई समस्याएं जैसे सिर में दर्द, तनाव, सूखी खांसी, पैरों में सूजन, डायरिया या फिर घबराहट आदि होने लगती है। वहीं आयुर्वेद में देखें तो ऐसी तमाम औषधियां हैं जिनसे किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता और मौजूदा हाइपरटेंशन की समस्या भी खत्म हो जाती है।

बीएचयू में आयुर्वेद विभाग के कायचिकित्सक प्रो. जेएस त्रिपाठी बताते हैं कि आयुर्वेद की एक ही औषधि सर्पगंधा घन वटी आपको हाइपरटेंशन के रोग से मुक्ति दिलाएगा। दो टैबलेट रोज लें, यदि समस्या कम है तो एक से भी लाभ दिखेगा। इसके अलावा मुक्ता पिस्टी और प्रवाल पिष्टी 250 एमजी दो बार रोजाना लिया जा सकता है। वहीं भोजन के बाद अर्जुनारिष्ठ 15-20 एमजी भी लाभप्रद होता है। यदि ये औषधियां न मिलें तो शंखपुष्पी चूर्ण, पूर्ननवा चूर्ण, अर्जुन चूर्ण का डेढ़ ग्राम और 250 ग्राम अकीक पिष्टी का मिश्रण उपयोग करें काफी बेहतर लाभ मिलेगा। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि ये औषधियां हमारे रक्तचाप को कम करने के साथ ही नींद में बढ़ोत्तरी करेंगी और दिमाग भी काफी शांत रहेगा। उन्होंने बताया कि यदि हाइपरटेंशन की समस्या बहुत ज्यादा है और ब्लड प्रेशर नियंत्रण से बाहर है तो इस स्थिति में तत्काल डाक्टर को ही दिखाएं।

 सोडियम का कम से कम हो इस्तेमाल\

बीएचयू में रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग के अध्यक्ष व रसशास्त्री प्रो. आनंद चौधरी ने बताया कि भारत में करीब 42 फीसद शहरी और 25 फीसद ग्रामीण लोग उच्च रक्तचाप के शिकार हैं। कुछ बीमारियों के कारण कोलेस्ट्रॉल धमनियों पर इक्कठा हो उनके लुमेन को संकुचित कर देते हैं जिससे उनके दीवार पर दबाव बढ़ जाता है। यह इतना हानिकारक है कि धमनियां फट भी सकती हैं। आयुर्वेद में उच्च रक्तचाप की उत्पति को लेकर अनेक सिद्धांत वर्णित है उनमे प्रमुख है दोषों की विषमता जैसे व्यान वायु, साधक पित्त और अवलंबक कफ की समान स्थिति का नहीं होना। प्रो. चौधरी ने कहा कि कुछ विटामिनों, खनिजों, जड़ी-बूटियों के माध्यम से इसका इलाज संग इस रोग से खुद को बचा जा सकता है। आयुर्वेद में वाबस्पतिक औषधियों के साथ साथ सुधा वर्ग की औषधियां चिकित्सक की सलाह से लें इस रोग से उबरने में काफी कारगर हैं।

अपने आहार में करें इस नियम का पालन

कम सोडियम, उच्च पोटेशियम वाले आहार के साथ फल व सब्जियों पर जोर देना है। वहीं कम वसा वाले डेयरी उत्पाद ही प्रयोग में लाएं। प्रो. चौधरी ने कहा कि आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, योग चिकित्सा के ये उपचार निश्चित रूप से किसी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।

इन बातों का भी रखे ध्यान

कम सोडियम लें जो स्टेज एक उच्च रक्तचाप में बेहद मददगार है।

वजन कम करें और इसे बनाए रखें।

अल्कोहल का सेवन कम करें

योग, प्राणायाम और व्यायाम जैसे एक्सरसाइज को नियमित रूप से करें।

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