World Heritage Varanasi : सारनाथ, काशी व गंगा घाटों को समाहित कर किया जा रहा डाक्यूमेंटेशन , मुंबई की टीम बनाएगा डोजियर

World Heritage Varanasi शास्त्र- पुराण और इतिहास के पन्नों की गवाही से पुख्ता रुतबे पर यूनेस्को की मुहर लगवाने के लिए नए साल में संभवत जनवरी में ही प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। समग्र बनारस को शामिल करने के लिए प्राथमिक तौर पर डाक्यूमेंटेशन शुरू कर दिया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 08:20 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 11:51 AM (IST)
World Heritage Varanasi : सारनाथ, काशी व गंगा घाटों को समाहित कर किया जा रहा डाक्यूमेंटेशन , मुंबई की टीम बनाएगा डोजियर
बनारस को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए प्राथमिक तौर पर डाक्यूमेंटेशन शुरू कर दिया गया है।

वाराणसी, प्रमोद यादव। World Heritage Varanasi शताब्दियों से पुष्पित-पल्लवित परंपराओं की थाती समेटे बनारस को विश्व धरोहर नगरी का दर्जा दिलाने की कवायद एक बार फिर शुरू की जा रही है। शास्त्र- पुराण और इतिहास के पन्नों की गवाही से पुख्ता रुतबे पर यूनेस्को की मुहर लगवाने के लिए नए साल में, संभवत: जनवरी में ही प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। इसमें पुरा स्थल सारनाथ व गंगा के प्रतिष्ठित घाटों को समाहित करते हुए समग्र बनारस को शामिल करने के लिए प्राथमिक तौर पर डाक्यूमेंटेशन शुरू कर दिया गया है।

इस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी मुंबई की आभा नारायण एंड कंपनी को दी गई है। उसके विशेषज्ञ दल में शामिल पुरा विशेषज्ञ, इतिहासविद् व आर्किटेक्ट बनारस में हैैं और सारनाथ, गंगा के घाटों के साथ ही गलियों और स्मारकों आदि का निरीक्षण -परीक्षण कर रहे हैैं। काशी के कला- इतिहास को लेकर विशेष दृष्टि रखने वाले विशेषज्ञ प्रो. मारुतिनंदन तिवारी, प्रो. राणा पीबी सिंह समेत तमाम विद्वानों की राय भी ले रहे हैैं। अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में नोडल विभाग भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के महानिदेशक व कंपनी के विशेषज्ञों की बनारस में ही बैठक होगी। इसमें प्रस्ताव के आकार-प्रकार पर चर्चा के बाद फाइनल डोजियर पर कार्य शुरू किया जाएगा।

तकनीकी पेंच को देखते हुए निकाला जा रहा बीच का रास्ता

महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ के पुरातात्विक अवशेष दो दशक से यूनेस्को की विश्व धरोहर से संबंधित संभावित सूची में है। इसे पुख्ता कराने के उद्देश्य से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से दो साल पहले ही डोजियर बनाकर नई दिल्ली मुख्यालय भेजा जा चुका है। अप्रैल में काशी के प्रतिष्ठित घाट इस सूची में शामिल हुए तो समग्र बनारस को यह दर्जा दिलाने का विचार आया। वास्तव में यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल होने के एक साल यानी अप्रैल के बाद ही घाटों के लिए मय डोजियर प्रस्ताव भेजा जा सकता है। ऐसे में सारनाथ व गंगा के घाटों को जोड़ते हुए समग्र बनारस को विश्व धरोहर सूची शामिल करने का खाका खींचा जा रहा है। इसके पीछे तर्क यह कि गंगा के घाट व सारनाथ को बनारस से अलग करके नहीं देखा जा सकता। ऐसे में सारनाथ व गंगा के घाट के साथ ही काशी की गलियों तक बिखरी मूर्त थातियों के साथ अमूर्त विरासत और प्राचीनता की गवाही देते खुदाई से पुष्ट प्रमाण दस्तावेज के रुप में प्रस्ताव में लगाए जाएंगे।

यूनेस्को खुद भी मांग चुका प्रस्ताव

गौर करने की बात यह कि बनारस को विश्व धरोहर का दर्जा देने के लिए वर्ष 2001 में खुद यूनेस्को ने प्रस्ताव मांगा था। हालांकि तमाम प्रयास के बाद संबंधित प्रक्रिया पूरी करने में डेढ़ दशक लग गए थे। अंतत: एएसआइ ने वर्ष 2015 में यूनेस्को के पेरिस स्थित मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा था।

दावे की मजबूती

-प्राचीनता के खोदाई से मिले साक्ष्य

-अमूर्त धरोहरें : रीति रिवाज, तीज त्योहार, मान्यता, खानपान, भाषा-बोली, वाचिक परंपरा, लोक कला, पारिवेशिक कला, व्यवहार, ज्ञान, कौशल, संगीत, गुरु शिष्य परंपरा, रामलीला समेत कई लीलाएं।

-मूर्त धरोहरें : बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ, एएसआई द्वारा संरक्षित 14 स्थल समेत अन्य कई। काशी विश्वनाथ दरबार, घाट शृंखला, अन्य कई भवन व स्मारक।

प्रक्रिया

-चिह्नीकरण

-डाक्यूमेंटेशन यानी पूरा ब्योरा जिसमें धरोहर की विलक्षणता, ऐतिहासिकता, कलात्मकता, सौंदर्य, वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अध्यात्मिक, धार्मिक महत्व का संपूर्ण ब्योरा। इसे आलेख, चित्र और वृत्तचित्र रूप में सहेजा गया हो।

-संरक्षण के लिए प्रदेश या केंद्र सरकार की किसी इकाई द्वारा किए गए प्रयास।

-धरोहर रूप में घोषित करने आवश्यकता, इसके लिए खुद की सजगता।

-संरक्षण को बनाए गए नियम-कानून।

-प्रदेश या केंद्र स्तर पर विभिन्न इकाइयों द्वारा आकलन व मूल्यांकन के साथ यूनेस्को को प्रस्ताव।

-यूनेस्को द्वारा आकलन और फिर कई स्तरों पर सर्वेक्षण के बाद हरी झंडी।

विश्व धरोहर बनने पर

जिस स्थान को विश्व धरोहर के रूप में मान्यता मिल जाती है, यूनेस्को द्वारा उसे चालीस लाख डालर संरक्षण के लिए प्रदान किया जाता है।

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