World Book Day 2021 : डिजिटल इंडिया के दौर में पुस्तकालयों से युवाओं का हो रहा मोह भंग

विश्व पुस्तक दिवस 2021 किताबें हमारे ज्ञान का स्रोत होती हैं और बिना इसके हमारी शिक्षा अधूरी है। यह व्यक्ति की सबसे अच्छी दोस्त होती है। जिस व्यक्ति को किताबें पढ़ना पसंद हो वह जीवन में कभी अकेला महसूस नहीं करता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 07:50 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 11:44 AM (IST)
World Book Day 2021 : डिजिटल इंडिया के दौर में पुस्तकालयों से युवाओं का हो रहा मोह भंग
किताबें हमारे ज्ञान का स्रोत होती हैं और बिना इसके हमारी शिक्षा अधूरी है।

मीरजापुर [अमित तिवारी] । किताबें हमारे ज्ञान का स्रोत होती हैं और बिना इसके हमारी शिक्षा अधूरी है। यह व्यक्ति की सबसे अच्छी दोस्त होती है। जिस व्यक्ति को किताबें पढ़ना पसंद हो, वह जीवन में कभी अकेला महसूस नहीं करता है। बावजूद इसके डिजिटल इंडिया के दौर में पुस्तकालयों से युवाओं का मोह भंग हो रहा है। पुस्तकालयों में जाकर अध्ययन करने की बजाय गूगल पर ही सर्च करना बेहतर समझ रहे हैं। इसके चलते युवा एकाकी जीवन व्यतीत करना पसंद कर रहे हैं।

वर्तमान समय में हर जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है, लेकिन किताब पढ़ने का आनंद ही अलग होता है। महुवरिया स्थित राजकीय पुस्तकालय में विभिन्न भाषाओं और विधाओं की लगभग 23 हजार पुस्तकें हैं। पुस्तकालय सुबह 9 बजे से शाम चार बजे तक खुलता है। पुस्तकालय के लगभग 250 सक्रिय सदस्य है। पुस्तकालय अध्यक्ष अमिताश कुमार शाह ने बताया कि नियमित लगभग 25 से 30 पाठक लाइब्रेरी में आते हैं। कोविड 19 संक्रमण के चलते इन दिनों पाठकों की संख्या में कमी आई है।

बलिदानियों के अद्वितीय स्मारक शहीद उद्यान में आकर राष्ट्र के लिए आहुति देने वालों के प्रति लोगों के सिर श्रद्धा से झुक जाते हैं। उद्यान की स्थापना सन् 1963 में और पुस्तकालय की स्थापना 1928 में हुई थी। नारघाट स्थित प्रसिद्ध लाला लाजपत राय साहित्य सदन पुस्तकालय आज भी लोगों के लिए अनवरत ज्ञान का माध्यम बना हुआ है। पुस्तकालय अध्यक्ष वीरेश त्रिपाठी ने बताया कि पुस्तकालय दो समय खुलता है। सुबह सात से 10 बजे और दूसरी पाली में शाम चार से आठ बजे तक खुलता है। वर्तमान समय में पुस्तकालय में लगभग 33 हजार 850 पुस्तकें हैं। इसमें से 26500 हिंदी, 6700 अंग्रेजी, 125 उर्दू, 250 बंगला, 275 संस्कृत भाषा की पुस्तकें हैं। हालांकि नियमित सदस्यों की संख्या घटकर 10 से 15 तक सीमित रह गई है। अमूमन लगभग 1200 लोग पुस्तकालय में पढ़ने जाते रहे हैं।

पुस्तकें हमेशा से लोगों के ज्ञान का माध्यम रही हैं

वर्तमान में डिजिटल के चलते घर बैठे सभी सूचनाएं व जानकारी मिल जा रही हैं। पुस्तकें हमेशा से लोगों के ज्ञान का माध्यम रही हैं। युवाओं को चाहिए कि वह समय निकालकर लाइब्रेरी में जाकर अध्ययन करें। राजकीय पुस्तकालय में उत्कृष्ट लेखकों की पुस्तकें संग्रहित की गई हैं।

- देवकी सिंह, डीआइओएस, मीरजापुर।

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