बनारस रेल इंजन कारखाना के कर्मी सप्ताह में कम से कम एक दिन अनिवार्य रूप से खादी पहनेंगे

खुद मेक इन इंडिया का एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बन चुका बनारस रेल इंजन कारखाना अब अन्य देशी उत्पादों को भी बढ़ावा देने में जुट गया है। कारखाना इस दिशा में सबसे पहले महात्म गांधी के विचारों के अनुरूप खादी को अपनाने में लगा है

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 06:30 AM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 06:30 AM (IST)
बनारस रेल इंजन कारखाना के कर्मी सप्ताह में कम से कम एक दिन अनिवार्य रूप से खादी पहनेंगे
बनारस रेल इंजन कारखाना के अधिकारी-कर्मचारी सप्ताह में कम कसे कम एक दिन अनिवार्य रूप से खादी पहनने लगे हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। खुद मेक इन इंडिया का एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बन चुका बनारस रेल इंजन कारखाना अब अन्य देशी उत्पादों को भी बढ़ावा देने में जुट गया है। कारखाना इस दिशा में सबसे पहले महात्म गांधी के विचारों के अनुरूप खादी को अपनाने में लगा है। इसके तहत सभी अधिकारी-कर्मचारी सप्ताह में कम कसे कम एक दिन अनिवार्य रूप से खादी पहनने लगे हैं। यही नहीं, खादी के वस्त्र पहनकर बीएलडब्ल्यू के वाट्सएप ग्रुप में सभी अपनी फोटो भी सगर्व शेयर करते हैं तो इससे अन्य लोग भी प्रेरित होकर खादी के वस्त्र खरीदने में जुटे हुए हैं। इसके लिए गांधी जयंती 05 अक्टृूबर से प्रदर्शन लगाई गई है। अनुमान के मुताबिक नौ दिनों में ही वहां से अब तक 50 फीसद से अधिक अधिकारी-कर्मचारी खादी अपना चुके हैं।

रेलवे बोर्ड के पत्र व जीएम के आग्रह पर बदल गया विचार

बरेका के जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार बताते हैं कि इस संबंध में कुछ दिनों पूर्व रेलवे बोर्ड का एक पत्र मिला था, जिसमें खादी को बढ़ावा देने का आग्रह किया गया था। बताया गया था कि रेलवे के पूरे देश में 12 लाख से अधिक कर्मचारी हैं। यदि सभी खादी अपनाने का संकल्प ले लें तो इससे खादी काे काफी बढ़ावा मिलेगा। फिर क्या था, इस पत्र के आधार पर महाप्रबंधक अंजली गोयल ने सभी अधिकारियों कर्मचारियों से सप्ताह में कम से कम एक दिन खादी पहनने का आग्रह किया और उसकी फोटो ग्रुप में शेयर करने का। स्वयं से ही इस नेक काम की शुरूआत भी कर डाली। कर्मचारियों अधिकारियों की सुविधा के लिए उन्होंने परिसर में ही खादी ग्रामोद्योग विभाग से बात कर खादी वस्त्रों की एक प्रदर्शनी भी लगवा दी।

जीएम के सत्याग्रह ने दिखाया रंग

अपने कर्मचारियों को खादी पहनने के लिए महाप्रबंधक बरेका ने न कोई आदेश-निर्देश जारी किया और न ही कोई अनिवार्यता लादी। बस महात्मा गांधी के सत्याग्रह मार्ग का अनुसरण करते हुए उन्होंने स्वयं खादी की साड़ी खरीदी और पहनना शुरू कर दिया। उनकी इस पहल ने प्रेरणा का काम किया और देखते ही देखते अधिकारियों-कर्मचारियों ने भी इसे अपना लिया।

पांच दिनों में 10 लाख रुपये तक की बिक्री

खादी ग्रामोद्योग के निदेशक बीएस राठी बताते हैं कि बरेका में लगी प्रदर्शनी काफी उत्साहजनक है। पांच दिनों में ही पांच स्टालों से 10 लाख रुपये तक की बिक्री बरेका के लोगों में खादी के प्रति रुझान को दर्शाती है। अभी वहां 14 अक्टूबर तक प्रदर्शन रहेगी, उम्मीद है कि लगभग इतनी ही धनराशि की बिक्री और हो सकती है।

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