वाराणसी में कोविड से ठीक हुई महिला में बीएचयू में फंगल संक्रमण, आंखों की रोशनी प्रभावित
पोस्ट कोविड रोगियों में सबसे गंभीर समस्या अब फंगल इंफेक्शन (काली फंफूद) की सामने आ रही है जिसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जाता है। नाक से श्वसन नली व खून में मिलकर ये फंगस आंख के रास्ते दिमाग में पहुंचकर जानलेवा साबित हो रहे हैं।
वाराणसी, जेएनएन। पोस्ट कोविड रोगियों में सबसे गंभीर समस्या अब फंगल इंफेक्शन (काली फंफूद) की सामने आ रही है, जिसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जाता है। नाक से श्वसन नली व खून में मिलकर ये फंगस आंख के रास्ते दिमाग में पहुंचकर जानलेवा साबित हो रहे हैं। बनारस में करीब दस मामले सामने आ चुके हैं। हैरानी की बात है कि इस तरह अधिकतर मामले कोरोना की दूसरी लहर में ही देखे जा रहे हैं। हाल ही में बीएचयू अस्पताल के ईएनटी विभाग में आजमगढ़ की एक पचास वर्षीय महिला को भर्ती किया गया है, जिसके नांक में यह संक्रमण पाया गया है।
पीड़ित महिला का इलाज कर रहे ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. सुशील कुमार अग्रवाल ने बताया कि कुछ समय पहले ही कोरोना से ठीक तो हो गईं, मगर उनके चेहरे और नांक में दर्द सा महसूस होने लगा। जांच कराई गई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अब इलाज में एंटी फंगल ड्रग ''एंफोटेरेकिन बी' कुल डोज चार ग्राम तक देना है जिसे एक दिन में अधिकतम पचास मिली ग्राम तक दिया जा सकता है। इसलिए दो-ढ़ाई माह तक मरीज को वह अपने निरीक्षण में विभाग के वार्ड में ही रखेंगे। उनके साथ उनके रेजिडेंट डॉ. अक्षत, डाॅ. सिल्की, डॉ. शिशुपाल आदि मरीज की मानिटरिंग में लगे है।
स्टेराॅयड के अत्यधिक उपयोग ने घटाई प्रतिरोधकता
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि दरअसल, कोरोना से निबटने में हम अधिक मात्रा में स्टेराॅयड का उपयोग कर लेते हैं, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। इस स्थिति में नांक में मौजूद फंगस सक्रिय हो जाते हैं और हमारे उत्तकों को तेजी से संक्रमित करने लगते हैं। यह समस्या डायबिटीज, कैंसर, किडनी समेत सभी निम्न प्रतिरोधक क्षमता वाले इम्युनो कांप्रोमाइज्ड मरीजों में देखी जा रही है।
डायबिटीज 160 से अधिक तो हो जाए सावधान
डॉ. सुशील कुमार अग्रवाल के अनुसार कोरोना से ठीक होने के बाद यदि डायबिटीज का स्तर 160 से अधिक, चेहरे पर सूजन, दर्द, आंख की रोशनी धीरे-धीरे कम या फिर श्वांस फूलने लगे तो तुरंत डाक्टर के पास पहुंचकर जांच कराएं। यह संक्रमण यदि आंख या दिमाग में प्रवेश कर गया, तो आंख की रोशनी खत्म होने के साथ मौत भी हो सकती है। वहीं, संक्रमण दिमाग तक न पहुंचे इसके लिए आर्बिटल एक्जट्रेशन करके (ऑपरेशन से) संक्रमित आंख को निकाल देते हैं। हालांकि शुरूआती दिनाें में ही इस संक्रमण का पता चल जाए तो आसानी से नांक से ही फंगस निकाल लिया जाता है। वहीं कोरोना से ठीक हुए रोगी इससे बचने के लिए घर पर ही नांक की धुलाई गर्म पानी में मीठा सोडा डालकर करते हैं।