वाराणसी में रेल इंजन के सामने पुत्र संग महिला ने किया खुदकुशी का प्रयास

महिला अपने पुत्र संग शुक्रवार की सुबह सारनाथ के आशापुर रेलवे क्रासिंग पहुंची और इंजन को आता देख सामने आ गई। इस दौरान अपने पुत्र को लेकर इंजन की चपेट में आने से महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। वहीं पुत्र सुरक्षित बच गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 04:31 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 04:31 PM (IST)
वाराणसी में रेल इंजन के सामने पुत्र संग महिला ने किया खुदकुशी का प्रयास
सरसों के खेत में पानी भरने के बात को लेकर गुरुवार की रात झगड़ा हुआ।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। खुदकुशी की नीयत से महिला अपने पुत्र संग शुक्रवार की सुबह सारनाथ के आशापुर रेलवे क्रासिंग पहुंची और इंजन को आता देख सामने आ गई। इस दौरान अपने पुत्र को लेकर इंजन की चपेट में आने से महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। वहीं पुत्र सुरक्षित बच गया। क्षेत्रीय लोगों ने उपचार के लिए उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया।

बताया जाता है कि चौबेपुर चिरईगांव की 45 वर्षीय वंदना राजभर का अपने पति वीरेंद्र के बीच सरसों के खेत में पानी भरने के बात को लेकर गुरुवार की रात झगड़ा हुआ। जिससे नाराज वंदना सुबह अपने सात वर्षीय पुत्र हर्षित को लेकर ऑटो से आशापुर बाजार उतर कर रेलवे क्रासिंग के पास फ्लाई ओवर ब्रिज की सीढ़ी पर बैठ कर ट्रेन का इंतजार कर रही थी। तभी 8.50 बजे वाराणसी सिटी की तरफ से केवल इंजन आता देख वन्दना अपने पुत्र का हाथ पकड़ कर खुदकुशी के लिए इंजन के सामने कूदने जाने लगी तभी हर्षित ने क्रॉसिंग पर लगे खम्भे को तेजी से पकड़ लिया, इधर इंजन भी नजदीक आता देख कर खुद इंजन के सामने जाने लगी। इसी दौरान धक्का लगने से गम्भीर रूप से घायल हो गयी। वहीं हादसे में हर्षित बाल बाल बच गया। क्षेत्रीय लोगों ने आनन फानन घायल महिला को आशापुर निजी अस्पताल में भर्ती कराया। हर्षित ने बताया कि जैसे ही इंजन आने पर वह रेलवे पोल को पकड़ लिया और मां वंदना उसे खींचने लगीं। इस बीच इंजन की चपेट में आने की वजह से घायल हो गई।

मां के कठोर कदम से पुत्र दहशत में : मां वंदना ने खुदकुशी के लिए उठाए गए कदम से कक्षा एक में पढ़ने वाला सात वर्षीय हर्षित काफी दहशत में है। अस्पताल में पहुंचने वालों को केवल एक टक (देखता रहा। हर्षित तीन बहनों में सबसे छोटा व परिवार का इकलौता पुत्र है। आने वाला हर शख्स हर्षित को देखने के बाद ही वंदना के बारे में पूछता था। पिता वीरेंद्र भी अस्पताल पहुंच कर एक बरगी अपने पुत्र को दोनो हाथों से पूरे शरीर को स्पर्श कर कहीं कुछ चोट न होने पर राहत की सांस ली।

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