आखिर कब थमेगा जहरीली शराब का मरने का सिलसिला, आजमगढ़ में कई के आंखों की चली गई रोशनी
वर्ष 2017 में सात जुलाई को अजमतगढ़ में 30 लोगों की मौत हुई थी। चार लोगों के आंखों की रोशनी चली गई थी। 2013 में 18 अक्टूबर को जहरीली शराब पीने से 56 लोगों की मौत हुई थी। उस समय छह लोगों के आंख की रोशनी चली गई थी।
आजमगढ़, जेएनएन। जिले में जहरीली शराब का कारोबार अरसे से चल रहा है। सरकारी मशीरनी बड़ी घटना होने पर शराब के अवैध कारोबारियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई तो शुरू करती है, लेकिन कुछ ही दिन बाद खामाेश पड़ जाती है। मामला ठंड पड़ते ही सतकर्ता अभियान को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। बीते कुछ वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग सौ लोगों की मौत तो दर्जनों के आंखों की रोशनी जा चुकी होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब थमेगा जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला ...।
वर्ष 2017 में सात जुलाई को रौनापार थाना क्षेत्र के केवटहिया व जीयनपुर कोतवाली के अजमतगढ़ में 30 लोगों की मौत हुई थी। चार लोगों के आंखों की रोशनी चली गई थी। उससे पूर्व वर्ष 2013 में 18 अक्टूबर को मुबारकपुर थाने के केरमा सहित आसपास के गांव में जहरीली शराब पीने से 56 लोगों की मौत हुई थी। उस समय छह लोगों के आंख की रोशनी चली गई थी। उससे पहले वर्ष 2009 में बरदह थाना क्षेत्र के इरनी गांव में जहरीली शराब पीने से जहां 10 लोगों की मौत हुई थी, वहीं उस घटना में भी चार लोगों के आंखों की रोशनी चली गई थी।
प्रशासन की लापरवाही का परिणाम रहा कि अवैध शराब का कारोबार सगड़ी तहसील क्षेत्र के ज्यादातर गांव में कुटीर उद्योग का रुप ले चुका था। वर्ष 2017 में हुई घटना के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने अवैध शराब के कारोबार को जड़ समाप्त करने का आदेश दिया। सीएम के आदेश पर काफी हद तक सक्रिय हुई पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई बड़े कारोबारियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार होने वालों में एक पूर्व विधायक भी शामिल थे, जिनकी कप्तानगंज थाना क्षेत्र में बंद पड़े महिला महाविद्यालय में अवैध शराब की फैक्ट्री चल रही थी। मुबारकपुर और बरदह थाना क्षेत्र में हुई घटनाओं में कुछ सफेदपोशों के नाम भी उजागर हुए थे। सरकार की निगरानी कमजोर पड़ी तो अफसर मामले को फिर से ठंडे बस्ते में डाल दिए।