गेहूं की फसल के लिए अनुकूल है ठंड का मौसम, कड़ाके की ठंड में पशुओं को भी बचाएं
कड़ाके की ठंड व गलन ने जनमानस को भले ही ठिठुरने पर विवश कर दिया है लेकिन गेहूं के लिए मौसम अनुकूल है। इससे गेहूं का उत्पादन अधिक होने की उम्मीद बढ़ गई है। पिछले सप्ताह के मौसम ने किसानों को काफी चिंतित कर दिया था।
मऊ, जेएनएन। कड़ाके की ठंड व गलन ने जनमानस को भले ही ठिठुरने पर विवश कर दिया है लेकिन गेहूं के लिए मौसम अनुकूल है। इससे गेहूं का उत्पादन अधिक होने की उम्मीद बढ़ गई है। पिछले सप्ताह के मौसम ने किसानों को काफी ङ्क्षचतित कर दिया था। बहुत सारे किसान निजी साधन से खेतों की ङ्क्षसचाई कर फसल को बचाने में जद्दोजहद में लगे थे। अब इधर पिछले कई दिनों से मौसम ने साथ दिया है। इससे किसानों को राहत मिली है। ठंड के मौसम में ठंड लौटने से किसानों में खुशी है।
कारण कि पिछले दिनों पछुआ हवा व तेज धूप के कारण गेहूं की फसल प्रभावित होने लगी थी लेकिन अब तापमान में आई गिरावट के कारण गेहूं के कल्ले ज्यादा निकलेंगे व दाना भी अधिक ज्यादा होगा। इस वजह से इसका उत्पादन बढ़ेगा लेकिन आलू, टमाटर, फूलगोभी आदि की फसल पर ठंड व कोहरे का बुरा प्रभाव पड़ेगा। इनके लिए धूप जरूरी हैं।
कड़ाके की ठंड में पशुओं को भी बचाएं : डा. कन्हैया लाल
कड़ाके की ठंड शीतलहर से बचाव के लिए पशुपालक अपने पशुओं से काफी सावधान रहें, ताकि कही पशुओं को ठंड न लग जाए। वर्तमान में काफी गलन हो रही है। पशुओं को चारा खिलाते समय कंबल से ढककर सुरक्षित जगह रखना चाहिए। रात में पशुओं के बांधने के स्थान पर सूखी राखी व पुआल बिछा देना चाहिए ताकि पशुओं को ठंड न लग सके और पशुओं को आजवाइन का धुआं भी करना चाहिए।
यह बाते शुक्रवार को पशु चिकित्साधिकारी खुरहट डा. कन्हैयालाल ने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ठंड का प्रकोप ज्यादा है। ऐसी स्थिति में पशुओं को ठंड लगने की काफी संभावना है। अगर किसी पशु की तबीयत खराब होती है तो तत्काल में अजवाइन उबाल कर पिलाए और पशु चिकित्साधिकारी से संपर्क करें।