पूर्वांचल में जल्द ही पश्चिमी विक्षोभ का दिखेगा असर, गलन संग बादलों की भी होगी सक्रियता
पहाड़ों पर लगातार बर्फबारी के साथ ही उसका असर अब मैदानी इलाकों की चिंता बढ़ा रहा है। पहाड़ों पर माह भर से रह रहकर बर्फबारी हो रही है नए वर्ष में पहाड़ बर्फ से ढंके और गलन का असर मैदानी इलाकों और पूर्वांचल में भी इसका असर हो रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। पहाड़ों पर लगातार बर्फबारी के साथ ही उसका असर अब मैदानी इलाकों की चिंता बढ़ा रहा है। पहाड़ों पर माह भर से रह रहकर बर्फबारी हो रही है, नए वर्ष में पहाड़ बर्फ से ढंग गए और गलन का असर मैदानी इलाकों और पूर्वांचल में भी इसका असर हो रहा है। अरब सागर से एक ओर बादलों की सक्रियता का दौर शुरू होने जा रहा है तो दूसरी ओर यूरोप से आने वाली गलन भरी हवाओं ने दोबारा अफगानिस्तान तक दस्तक दे दी है। गुरुवार की सुबह तापमान ने दोबारा अपना रुख बदला है और 19.6 डिग्री दर्ज किया गया जो सामान्य से तीन डिग्री तक कम है, न्यूनतम पारा सीजन में पहली बार सबसे कम 5.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से चार डिग्री तक कम रहा। इस लिहाज से गुरुवार को तापमान सबसे कम रहा और गलन भरा साबित हुआ।
इसके बाद से ही लगातार बादलों की सक्रियता उत्तर भारत की ओर होने से दोबारा बादलों और बारिश की सक्रियता का दौर होने की उम्मीद परवान चढ़ रही है। अरब सागर से उठे बादल गुरुवार की दोपहर तेजी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक पहुंच गए थे वहीं यूरोप से आने वाले बादल भी अब पहाड़ों पर बारिश और बर्फबारी कराएंगे। इसके बाद दोबारा उत्तर भारत बादलों के साथ ही बारिश और ठंड के साथ गलन में डूब जाएगा।
मौसम विभाग की ओर से जारी सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार उत्तर प्रदेश में बादलों की मामूली सक्रियता का दौर बना हुआ है, आगे अरब सागर से उठे बादलों का रुख पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही पहुंचा है। हवा का रुख पछुआ होने के बाद यह घने बादल पूर्वांचल का भी रुख कर सकते हैं। मौसम विज्ञानियों के अनुसार यह बादल नम नहीं हैं लिहाजा बारिश की संभावनाएं कम हैं और इनकी सक्रियता हुई तो मामूली बूंंदाबांदी ही हो सकती है। इसके पीछे पश्चिमी विक्षोभ का एक और असर अफगानिस्तान के रास्ते हिमालय के पहाड़ों पर असर करने वाला है। इसके बाद जम्मू कश्मीर में बारिश और बर्फबारी का दौर तो शुरू होगा ही साथ ही हवाओं का रुख पछुआ बना रहा तो यह बादल पूर्वांचल तक का रुख कर सकते हैं।
ऐसे में ओलावृष्टि और बारिश का दौर भी पूर्वांचल में आ सकता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार पूर्वांचल में पछुआ हवाओं का रुख रहा तो आने वाले सप्ताह तक गलन का यही असर बरकरार रहेगा। मौसम विज्ञानी मान रहे हैं कि पूर्वांचल में नए साल पर गर्मी का असर होने के बाद से ही गलन काबिज है और पांच डिग्री तक पारा गिर चुका है। ऐसे में बादलों की आवाजाही के बाद तापमान में उतार चढ़ाव का दौर दोबारा हो सकता है और मौसम का यह रुख खेती किसानी के लिए चिंता का सबब है।