वाराणसी के बुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट करेंगे मारवाड़ी पगड़ी, अनुमति के लिए डीएम को पत्र
PM Modi Varanasi Visit 2021 प्रधानमंत्री मोदी को बनारस के बुनकर मारवाड़ी पगड़ी भेंट करेंगे। इसके लिए लल्लापुर निवासी गयास अहमद ने जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है। पीएमओ से स्वीकृति मिलने के बाद जिला प्रशासन इसकी अनुमति दे सकता है।
वाराणसी [मुहम्मद रईस]। दुनिया का शायद ही कोई देश होगा, जो बनारसी वस्त्र बुनाई कला से वाकिफ न हो। निर्धारित कार्यक्रम में 15 जुलाई को बनारस दौरे पर आ रहे प्रधानमंत्री मोदी को बनारस के बुनकर मारवाड़ी पगड़ी भेंट करेंगे। इसके लिए लल्लापुर निवासी गयास अहमद ने जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है। पीएमओ से स्वीकृति मिलने के बाद जिला प्रशासन इसकी अनुमति दे सकता है।
जीवंत नगरी काशी अद्भुत परंपराओं और सांप्रदायिक सद्भाव की उद्गम स्थली भी है। इसकी बानगी गयास अहमद पेश करते हैं। उनका परिवार 250 साल से रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ के लिए शाही पगड़ी बनाता आ रहा है। यही पगड़ी पहनकर बाबा अपने गौने की बरात में जाते हैं और मां गौरा की विदाई कराते हैं। प्रधानमंत्री को पगड़ी भेंट करने को लेकर उत्साहित गयास अहमद कहते हैं कि बुनकरों-हस्तशिल्पियों के लिए दीन दयाल हस्तकला संकुल के रूप में पीएम ने वैश्विक मंच उपलब्ध कराया है। साथ ही कई योजनाएं भी शुरू की। ऐसे में उनका आभार व्यक्त करने की दिली तमन्ना है, जो शासन-प्रशासन की स्वीकृति के बाद पूरी हो सकती है।
रवायतों के बने साथी, बन गए काशीवासी : हाजी गयास के परदादा हाजी छेदी लखनऊ से यह कला साथ लाए। यहां की रवायतों को समझा तो काशीवासी हो गए। सद्भाव के लिए पहली बार बाबा को पगड़ी अर्पित करने की पेशकश की, तो स्वीकारे गए। समय बीतता गया और हाजी छेदी के बाद उनके पुत्र हाजी अब्दुल गफूर ने परंपरा की थाती संभाली। फिर मोहम्मद जहूर से होती हुई यह गयास अहमद तक पहुंची। रिवाज अब परंपरा में तब्दील हो गई, जो हाजी गयास तक ही सीमित नहीं रही। अब उनके चार पुत्र मुनव्वर अली, अब्दुल सलीम, मो. कलीम, मो. शाहिद व पौत्र मो. तौफीक सहित पूरा कुनबा बाबा की पगड़ी तैयार करने के आदेश का बड़ी उत्सुकता से इंतजार करता है। बुजुर्ग गयास इस काम से न केवल बहुत खुश हैं, बल्कि वे इसे दिलों को करीब लाने का जरिया भी मानते हैं।
ऐसे तैयार होती है पगड़ी : गयास अहमद के पुत्र मुनव्वर अली ने बताया कि कागज-दफ्ती से पहले पगड़ी का ढांचा तैयार होता है। इसे दो मीटर सूती कपड़े से मजबूती दी जाती है। फिर तीन मीटर रेशमी कपड़े से पगड़ी तैयार होती है। फिर इसे जरूरत के मुताबिक जरी आइटम व मोतियों से सजाया जाता है।
हर मौके के लिए है उपलब्ध : लड्डू गोपाल की पगड़ी तैयार करने से लेकर गयास अहमद के यहां राजनेताओं को भेंट करने और शादी-ब्याह तक हर मौके और हर किस्म की पगड़ी बनाई जाती है। इसके अलावा काशीराज परिवार के लिए प्रतिवर्ष विजय दशमी के मौके पर पगड़ी बनाकर भेंट की जाती है।