वाराणसी में बुनकरों की हालत ज्‍यादा खराब, परिवार पर आया संकट तो पावरलूम बेचने को हुए विवश

कोरोना काल में वाराणसी में बुनकरों की हालत ज्‍यादा खराब हो गई है। परिवार का पेट भरने के लिए अब वे पावरलूम बेचने को विवश हो गए हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 10 Jul 2020 11:10 AM (IST) Updated:Fri, 10 Jul 2020 12:39 PM (IST)
वाराणसी में बुनकरों की हालत ज्‍यादा खराब, परिवार पर आया संकट तो पावरलूम बेचने को हुए विवश
वाराणसी में बुनकरों की हालत ज्‍यादा खराब, परिवार पर आया संकट तो पावरलूम बेचने को हुए विवश

वाराणसी, जेएनएन। बुनकर के लिए उसका कारखाना, पावरलूम, हैंडलूम आजीविका के साधन ही नहीं होते बल्कि सपनों को पूरा करने की उम्मीद भी होते हैं। दिन-रात पूरा कुनबा मेहनत कर जिंदगी का ताना-बाना बुनता है, मगर कोरोना काल में वे अपनी 'उम्मीदें' कबाड़ के भाव बेचने को विवश हैं। जो पावरलूम को भारी राशि खर्च कर खरीदा, उसे अब कबाड़ के भाव बेच रहे हैं। महामारी के दौर में बनारसी वस्त्र उद्योग पूरी तरह ठप पड़ा है। घर का खर्च चलाने में सारी जमा पूंजी टूट गई। न नए आर्डर हैं व न कारोबार दोबारा शुरू होने की उम्मीद। संकट आया तो किसी ने बीवी के गहने गिरवी रखे, किसी ने कीमती सामान बेचे। अब जिस कारखाने से परिवार चलाया, उसके लूम एक-एक कर बेचे जा रहे हैं।

नया पावरलूम करीब 90 हजार में आता हैे लेकिन बेच रहे सिर्फ 30 हजार में

पार्षद हाजी ओकास अंसारी के मुताबिक नया पावरलूम करीब 90 हजार में आता है, जो सेकेंडहैंड सामान्यतया 60 से 70 हजार रुपये में बिक जाता है, मगर इन दिनों कोई इतनी कीमत देने को तैयार नहीं। परिवार को भूख से तड़पता देख बुनकर अब पावरलूम को किलो के भाव बेच रहे हैं। इससे एक पावरलूम के महज 28 से 30 हजार रुपये मिल पा रहे हैं। वहीं बुनकर महासभा उप्र के महासचिव जुबैर आदिल के मुताबिक फ्लैट रेट व्यवस्था खत्म होने का भी असर पड़ा है। एक पावरलूम का औसतन एक माह में 1300 से 1500 रुपये बिल आता है, जिसे चुकाने में बहुत से बुनकर सक्षम नहीं हैं। इसलिए पावरलूम बेचने के साथ बिजली कनेक्शन भी कटवाए जा रहे हैं।

कोरोना काल में टूट गई कमर

केस-1 : एन 35/38 डी-एम, जलालीपुरा निवासी 70 वर्षीय जमील अहमद ने तीन पावरलूम का कारखाना बनाया। कोरोना काल में एक बेचने को विवश हो गए।

केस-2 : ए 40/51 अमरपुर बटलोहिया निवासी 57 वर्षीय मोहम्मद महतो का तीन लूम वाला कारखाना था। परिवार को संकट से उबारने को दो पावरलूम बेच चुके हैं।

क्‍या कहते हैं अधिकारी

हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग (वाराणसी परिक्षेत्र) के सहायक आयुक्त डा. नितेश धवन ने बताया कि बुनकर प्रतिनिधियों व पार्षदों के ज्ञापन पर निदेशालय को पत्र भेजा गया है। जिसमें लॉकडाउन से प्रभावित हैंडलूम व पावरलूम उद्योग को राहत पहुंचाने, आॢथक मदद व पावरलूम विद्युत सब्सिडी योजना की जगह पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग की है।

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