Weather Update in Varanasi : हिमालय की ओर से आ रहे बादल करा सकते हैं घनघोर वर्षा

दक्षिण-पश्चिमी मानसून ने बनारस को पूरी तरह से अपने जल से नहला दिया है। बनारस पूरे दिन काले घने बादलों के साये में रहा हालांकि बीच में हल्की धूप तो निकली मगर बादलों के आगे वह बेहद फीकी पड़ गई। वाराणसी में करीब 30 मिलीमीटर वर्षा दर्ज किया गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 09:32 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 09:32 PM (IST)
Weather Update in Varanasi : हिमालय की ओर से आ रहे बादल करा सकते हैं घनघोर वर्षा
दोपहर में हुई बरसात से लोगो को हुई खासी परेशानी,अर्दली बाजार क्षेत्र में खरीदारी करने आये लोग हुए परेशान ।

वाराणसी, जेएनएन। दक्षिण-पश्चिमी मानसून ने बनारस को पूरी तरह से अपने जल से नहला दिया है। बनारस पूरे दिन काले घने बादलों के साये में रहा, हालांकि बीच में हल्की धूप तो निकली मगर बादलों के आगे वह बेहद फीकी पड़ गई। पूरे दिन काशी में करीब 30 मिलीमीटर वर्षा दर्ज किया गया। अब तो मानसून के दूसरे ही दिन जगह-जगह सड़कों पर जलभराव की स्थिति बन चुकी है। जबकि मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि अभी मानसून का रौद्र चेहरा अगले दस दिनों में देखने को मिल सकता है। अब अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाएं भी अब आपस मे टकरा रहीं हैं जिससे बारिश काफी लंबे समय तक चल रही है। बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव के अनुसार बुधवार से हिमालय की ओर से आने वाले बादलों द्वारा अच्छी खासी बारिश होने की संभावना है। वहीं बंगाल की खाड़ी में काफी वृहदाकार बादल का निर्माण हो चुका है जो कि अगले सप्ताह तक बनारस भी पहुंच सकता है। यदि बनारस आया तो निश्चित तौर पर बनारस में मूसलाधार बारिश जैसी संभवानाएं बन सकतीं हैं।

 

मंगलवार को बनारस का अधिकतम तापमान सामान्य से आठ डिग्री कम 31 डिग्री सेल्सियस पर दर्ज किया गया, वहीं न्यूनतम तापमान 24.6 डिग्री सेल्सियस तक गया जो कि सामान्य से तीन डिग्री कम रहा।डीएसटी महामना जलवायु परिवर्तन केंद्र के समन्वयक एवं ग्रामीण कृषि मौसम सेवा बीएचयू के नोडल अधिकारी प्रो. आर के मल्ल व तकनीकी अधिकारी (युवा मौसम वैज्ञानिक) शिव मंगल सिंह ने बताया कि मौसम पूर्वानुमान के आधार पर आने वाले अगले तीन-चार दिनों तक गरज-चमक के साथ मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है। ऐसे में हवा की गति भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। ऐसे में किसान भाइयों को सलाह है कि खड़ी फसलों में जलजमाव न हो इसलिए जल निकास की उचित व्यवस्था करें। पशुओं को सिड्यूल के हिसाब से टीकाकरण करायें। अन्य कृषि कार्य, मौसम के परिवर्तन को ध्यान में रखकर ही करें।

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