Varanasi-Ghazipur सीमा से सटे चंद्रावती के पास गंगा नदी में मात्र 1.4 मीटर ही जलस्तर, जलयान पर लगा ब्रेक
वाराणसी-गाजीपुर सीमा से सटे चंद्रावती के पास गंगा नदी में मात्र 1.4 मीटर ही जलस्तर है। ऐसे में विभागीय अधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा है कि आगे क्या किया जाए। इस बात को लेकर विभागीय अधिकारियों ने पहले ही सवाल उठाए थे।
वाराणसी, जेएनएन। गर्मी बढऩे के साथ गंगा में पानी का जलस्तर कम होने लगा है। कई स्थानों पर गंगा में एक से दो मीटर तक पानी हो गया है। इसका सीधा असर जलयान से कारोबार करने वाले व्यापारियों पर पड़ा है। गंगा का जलस्तर नहीं बढऩे या बारिश नहीं होने तक गंगा से जलपोत का आवागमन ठप रहेगा। इससे करोड़ों रुपये व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वाराणसी-गाजीपुर सीमा से सटे चंद्रावती के पास गंगा नदी में मात्र 1.4 मीटर ही जलस्तर है। ऐसे में विभागीय अधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा है कि आगे क्या किया जाए। इस बात को लेकर विभागीय अधिकारियों ने पहले ही सवाल उठाए थे। फिर भी वह कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
बनारस से हल्दिया तक गंगा में जल परिवहन में तेजी लाने के लिए 1390 किलोमीटर लंबे जलमार्ग को हल्दिया से फरक्का, फरक्का से बाढ़ और बाढ़ से रामनगर तक तीन भागों में बांटकर ड्रेजिंग होना है। वर्ष 2018 से 2019 तक पटना से लेकर कैथी तक कई बार ड्रेजिंग कराई गई लेकिन उसमें बार-बार बालू भर जाता है। गर्मी पढऩे के साथ वाराणसी-गाजीपुर सीमा से सटे चंद्रावती के पास गंगा नदी में मात्र 1.4 मीटर ही जलस्तर रह गया है। उधर,
बनारस से हल्दिया तक जलपोत को रफ्तार भरने में गाजीपुर से जमनिया तक गंगा में पडऩे वाले पत्थर बाधक बन रहे हैं। गंगा में करीब 14 किलोमीटर पत्थर को तोडऩे के लिए भारतीय अंतर्देेशीय जल मार्ग प्राधिकरण टेंडर करने के साथ वाराणसी से हल्दिया तक ड्रेजिंग कराना है। गंगा में 45 मीटर चौड़ा और 2.2 मीटर गहरा ड्रेजिंग कर चैनल बनना है। उधर, गंगा में पानी का जलस्तर नहीं बढऩे से करीब तीन माह तक जलयान का आवागमन ठप होने की संभावना जताई जा रही है। यह जरूर है कि गंगा में ड्रेजिंग कर बालू निकालने का काम शुरू हो गया है लेकिन यह काम दूसरी कंपनी कर रही है। कंपनी को गंगा से बालू निकालने और ड्रेजिंग करने में काफी समय लगेगा।