Wall Hanging Product : काशी क्षेत्र के जीआइ उत्‍पाद वाल हैंगिंग पर 'मिनिस्‍ट्री आफ कल्‍चर' ने जारी किया वीडियो

हस्तकला और उत्कृष्ट कारीगरी के लिए विश्‍व भर में विख्यात वाराणसी परिक्षेत्र का दबदबा जीआइ में कई उत्‍पादों में रहा है इसमें सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क सहित गाजीपुर के उत्कृष्ट क्राफ्ट वाल हैंगिंग को 30 मार्च 2018 से देश के बौद्धिक संपदा अधिकार में शामिल किया गया था।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 12:39 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 12:39 PM (IST)
Wall Hanging Product : काशी क्षेत्र के जीआइ उत्‍पाद वाल हैंगिंग पर 'मिनिस्‍ट्री आफ कल्‍चर' ने जारी किया वीडियो
गाजीपुर के क्राफ्ट वाल हैंगिंग को 30 मार्च 2018 से देश के बौद्धिक संपदा अधिकार में शामिल किया गया था।

वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल की चर्चित वॉल हैंगिंग को प्रमोट करने के लिए शासन-प्रशासन के अलावा मंत्रालय भी सक्रिय हैं। शुक्रवार को 'मिनिस्‍ट्री आफ कल्‍चर' की ओर से वॉल हैंं‍गिंग और इसकी विशेषता पर एक प्रमोशनल वीडियो जारी करते हुए  इसकी जटिलता और डिजाइन की विशेषता भी साझा की है। पोस्‍ट के साथ लिखा है कि -  'जटिल पैटर्निंग, रंगों, और डिजाइनों के साथ बुना, पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में बनाया गया वॉल हैंगिंग मुख्य रूप से गाज़ीपुर, वाराणसी, चंदौली और मीरजापुर आदि जिलों में बनाया गया एक भारतीय जीआइ उत्पाद है।' तीस सेकंड के प्रमोशन वीडियो में पांच वाल हैंगिंग पोस्‍टर भी जारी किया गया है। आधे मिनट के वीडियाे में  'मिनिस्‍ट्री आफ कल्‍चर' की ओर से जारी वॉल हैंगिंग प्रमोशन में विशेषता बताते हुए इसे समृद्ध संस्‍कृति और हेरिटेज आफ इंं‍डिया का प्रतीक बताया गया है। इस हैंड लूम वाल हैंगिंग के निर्माण सामग्री जूट और कॉटन के साथ ही हस्‍तनिर्मित एंब्रॉयडरी एंड पास्टिंग वर्क के बारे में बताया गया है।

Woven with intricate patterning, colors, and designs, wall hangings made in eastern #UttarPradesh is an Indian GI product primarily made in Ghazipur, Varanasi, Chandauli, and Mirzapur districts. @prahladspatel @secycultureGOI @PMOIndia @PIBCulture @Brands_India @uptourismgov pic.twitter.com/GgQXxITRzv— Ministry of Culture (@MinOfCultureGoI) November 27, 2020

काशी क्षेत्र का वाल हैंगिंग

हस्तकला और उत्कृष्ट कारीगरी के लिए विश्‍व भर में विख्यात वाराणसी परिक्षेत्र का दबदबा जीआइ (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) में कई उत्‍पादों में रहा है इसमें गाज़ीपुर, वाराणसी, चंदौली और मीरजापुर आदि जिलों में बनाया जाने वाला सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क सहित गाजीपुर के उत्कृष्ट क्राफ्ट वाल हैंगिंग को 30 मार्च 2018 से देश के बौद्धिक संपदा अधिकार में शामिल किया गया था। वॉल हैंगिंग को जोड़कर वाराणसी परिक्षेत्र में जीआइ उत्पादों की संख्या दस है। इसके साथ ही यह दुनिया के किसी भी भू-भाग में सर्वाधिक जीआइ पंजीकृत उत्पादों वाला क्षेत्र भी है। इसमें वाल हैंगिंग उत्‍पाद पुराने सामग्री और सजावटी सामान का प्रयोग कर दीवारों की शोभा बढ़ाने के लिए रचनात्‍मक वर्क किया जाता है। 

जानिए क्‍या है जीआइ उत्‍पाद 

एक भौगोलिक संकेत (GI) एक ऐसा नाम या प्रतीक होता है जिसे कृषि, प्राकृतिक, मशीनरी उत्‍पाद क्षेत्र विशेष के व्यक्ति, समूह को दिया जाता है। यह उन उत्पादों पर उपयोग किया जाता है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और इसमें उस क्षेत्र की विशेषताओं के गुण और प्रतिष्ठा भी निहित होती है। एक संरक्षित भौगोलिक संकेत धारक, किसी और व्यक्ति को उसी तकनीक से इसी उत्पाद को बनाने से नहीं रोक सकता लेकिन नकल करने वाला व्यक्ति उसी संकेत का उपयोग हरगिज नहीं कर सकता। भौगोलिक संकेत या जीआइ टैग का उद्देश्य दूसरे लोगों द्वारा पंजीकृत भौगोलिक संकेत के अनधिकृत उपयोग को रोकना है। इसके माध्यम से उत्पादन प्रक्रिया में नयापन लाने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान की जाती है कि उनके उत्पाद की नकल कोई व्यक्ति या संस्था नहीं करेगी। भारत में जीआइ टैग वस्तु (पंजीकरण और संरक्षण) एक्ट, 1999 के अनुसार जारी किए जाते हैं। यह टैग, ‘भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री’ द्वारा जारी किया जाता है। इसका कार्य उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत निहित है।

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