वाराणसी में पौधा संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने लिया संकल्प, कई गांवों में हुआ आयोजन

सीआरपीएफ 95 बटालियन वन विभाग तथा सृजन सामाजिक विकास न्यास के संयुक्त तत्वाधान में गुरुवार को वाराणसी के रामनगर डोमरी गांव में पौधारोपण कार्यक्रम हुआ।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 06:47 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 06:47 PM (IST)
वाराणसी में पौधा संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने लिया संकल्प, कई गांवों में हुआ आयोजन
वाराणसी में पौधा संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने लिया संकल्प, कई गांवों में हुआ आयोजन

वाराणसी, जेएनएन। सीआरपीएफ 95 बटालियन, वन विभाग तथा सृजन सामाजिक विकास न्यास के संयुक्त तत्वाधान में गुरुवार को रामनगर, डोमरी गांव में पौधारोपण कार्यक्रम हुआ। इसका शुभारंभ रोहनिया विधायक सुरेंद्र सिंह, सीआरपीएफ कमांडेंट नरेंद्रपाल सिंह, डीएफओ महावीर कलौजगी व अनिल सिंह ने किया। विभिन्न प्रजातियों के पांच हजार पौधे रोपे व वितरित किए गए। पर्यावरण जागरुकता के लिए ग्रामीणों को पौधा संरक्षण करने का संकल्प दिलाया गया। जवानों ने गांव को सैनेटाइज किया। विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि पौधों का हमारे जीवन बहुत महत्व है। हमें पौधों का संरक्षण व संवर्धन करना चाहिए। कमांडेंट नरेंद्र पाल सिंह ने पर्यावरण स्वच्छता के लिए पौधों का महत्व बताया। डीएफओ महावीर कलौजगी ने कहा कि वातावरण की शुद्धता के लिए पौधे और जंगल का होना आवश्यक है। अनिल सिंह ने लोगों को पौधारोपण के लिए प्रेरित किया। रामकृपा द्विवेदी, सुरेश मिश्रा, छोटेलाल पटेल, नथू सिंह, मंगल केवट, दर्शन निषाद आदि थे।

गांवों में होगा 31 हजार पौधारोपण

काशी विद्यापीठ ब्लाक में ग्राम विकास विभाग की ओर से ब्लॉक के सभी गांवों में लगभग 31 हजार पौधा लगाने का लक्ष्य निर्धारित है। प्रभारी बीडीओ आरके द्विवेदी ने बताया कि ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सचिवों को पौधारोपण कराने का निर्देश दिया गया है। वन विभाग द्वारा उपलब्ध पौधों को गांव के स्कूलों, पंचायत भवन, आंगनवाड़ी केंद्र व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर रोपा जाएगा।

संरक्षण संग पौधरोपण से ही बढ़ेगा वृक्षों का दायरा

चिरईगांव हर वर्ष हो रहे करोड़ों पौधरोपण के उपरांत भी धरा पर वृक्षों का दायरा दिन पर दिन तेजी से घटता जा रहा है।जो पर्यावरण और मानव दोनों के लिए चुनौती बन चुका है। बरबसपुर गांव के प्रगतिशील कृषक होशिला पटेल वर्ष 2006 से आम के बाग लगाने में जुटे हैं लेकिन सफलता नहीं मिली।कलमी आम के पौधे बहुत तेजी से सूख जा रहे हैं तो अब बीजू आम का पेड़ लगाये हैं। जयरामपुर के गोपाल सिंह का कहना है कि पूर्वजों के लगाये बगीचे लगभग समाप्त हो चुके हैं।नये आम,अमरुद के बाग लग भी रहे हैं लेकिन वह सम्भल नहीं रहे हैं।बभनपुरा के राकेश सिंह का कहना है कि इमारती लकड़ी के शीशम की पौध हो या फलदार आम, अमरुद, नीबू,कटहल आदि के पौध लगाये लेकिन नील गायों ने रौंद दिया। बिना समुचित संरक्षण के बागों को बचाना मुश्किल हो गया है। मुस्तफाबाद रेता पर निवासी रामसनेही का कहना है कि एक समय था जब पूरा ढाब क्षेत्र अमरुद, नीबू, बेल, करौदा, शरीफा जैसे फलदार बागों से भरा पूरा था लेकिन अब गिनती के पेड़ बचे हैं। ऐसा नहीं कि बागों के लगाने का कार्य नहीं हो रहा है।हर वर्ष किसान पौधरोपण कर रहे हैं। कलमी अमरुद के पेड़ दस वर्षों से पहले ही सूख जा रहे है। अब बीजू अमरुद के पौधे ही लगाने जा रहे हैं।

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