यूपी में 169 सीटों पर चुनाव लड़ेगी वीआइपी, सामाजिक न्याय आधारित दलों से हो सकता है गठबंधन : मुकेश सहनी

संजय निषाद पार्टी नहीं दुकान चला रहे हैं। वह एक एमएलसी के पद पर मैनेज हो गए। उनसे मेरी कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। बल्कि उनकी नीतियों के खिलाफ लड़ाई है। उक्त बातें बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री मुकेश साहनी ने कही।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 04:03 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 05:19 PM (IST)
यूपी में 169 सीटों पर चुनाव लड़ेगी वीआइपी, सामाजिक न्याय आधारित दलों से हो सकता है गठबंधन : मुकेश सहनी
सूजाबाद में विकासशील इंसान पार्टी की ओर से सम्‍मेलन में शामिल बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री मुकेश साहनी

जागरण संवाददाता, वाराणसी। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक सह बिहार सरकार के पशुधन एवं मत्स्य संसाधन मंत्र मुकेश सहनी ने कहा कि आरक्षण नहीं तो किसी से गठबंधन व किसी का समर्थन नहीं। वीआईपी का उदय निषाद आरक्षण आंदोलन से हुआ है जिसका मकसद निषाद समुदाय की मल्लाह,केवट,बिन्द, कश्यप,धीवर,गोड़िया आदि को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाना है। सहनी गुरुवार को रामनगर के सूजाबाद में आयोजित निषाद आरक्षण जनचेतना रैली को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि गिड़गिड़ाने से किसी को दया आ जाये तो भीख दे सकता है,आपका अधिकार नहीं।आरक्षण पाने के लिए अपनी ताकत को मजबूत करना होगा,अपने वोट की कीमत पहचानना होगा।देश की राजधानी दिल्ली, पश्चिम बंगाल,उड़ीसा में 1950 से निषाद समाज की जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिला हुआ है,तो उत्तर प्रदेश,झारखण्ड, बिहार,मध्यप्रदेश की निषाद जातियों को क्यों नहीं?जब एक देश एक संविधान है तो निषाद जातियों को अलग अलग श्रेणियों में क्यों रखा गया है।

उन्होंने कहा कि 2014 से 2018 तक निषाद विकास संघ के माध्यम से बड़े बड़े धरना प्रदर्शन,रैली कर आरक्षण मांगता रहा,पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया।इसलिए राजनीतिक ताकत बनाने के लिए वीआईपी को बनाया।2020 के विधानसभा चुनाव में राजग के अंग बन 11 सीटों पर अपने नाव चुनाव चिन्ह पर लड़ाया,4 विधायक बने।बिहार के बहुमत के समीकरण में जितना महत्व भाजपा के 74 सीटों का है उतना ही महत्व वीआईपी के 4 विधायकों का है। 74 विधायकों के हटने से भी बिहार सरकार गिर जाएगी और 4 विधायकों के हटने से भी बहुमत खो देगी।आज बिहार में अपने समर्थन की सरकार है,इसलिए राज्याधीन निषाद समाज के कल्याण के जो काम हैं,वे आसानी से समाज को मिल रहे हैं।

मुकेश सहनी ने कहा कि कोई राम को मानता है कोई रहीम को,हम फूलन देवी जी को मानने वाले हैं।हमारे लिए पूज्यनीया व आदर्श फूलन देवी जी हैं।हमने उनकी 20 वीं पुण्यतिथि पर 25 जुलाई को उत्तर प्रदेश के 18 जिलों में 118-18 फ़ीट ऊँची प्रतिमा स्थापित कर माल्यार्पण हेतु भेजा,पर जातिवादी सरकार ने लगने नहीं दिया।हमे माल्यार्पण करने से रोक दिया।इसी सूजाबाद गाँव में माल्यार्पण करने आना था,पर उत्तर प्रदेश सरकार के इशारे पर यूपी पुलिस ने हमें बाबतपुर एअरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया।हमने भी निर्णय लिया है कि हम फूलन देवी जी को गाँव गाँव पहुंचाएंगे।उत्तर प्रदेश में फूलन जी की 50 मूर्तियाँ,5 लाख लॉकेट व 10 लाख कैलेंडर बंटवाएँगे।उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 169 सीटों को चिन्हित किया गया है,जहाँ मजबूत निषाद वोटबैंक है।जातिगत समीकरण को साधकर मिशन-2022 में प्रत्याशी उतारेंगे और मजबूती से चुनाव लड़ेंगे।"आरक्षण नहीं तो गठबंधन नहीं",हमारा नारा है।हम अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।उचित लगा तो सामाजिक न्याय आधारित दल से गठबंधन कर मजबूती से लड़ेंगे।वीआईपी किंग नहीं तो किंगमेकर बनेगी।हम अपने वोट की ताकत दिखाना चाहते हैं।

उन्होंने परोक्ष रूप से निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद पर तंज कसते हुए कहा कि एक नेता अपने को पॉलिटिकल गॉडफादर ऑफ फिशरमैन व महामना कहते हैं,राजपाट दिलाने की बात करते करते निजी स्वार्थ के लिए दूसरे की गोद में बैठ गए। कहा कि वे दल नहीं दुकान चलाते हैं।2018 के गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में अपने बेटे को सपा की सदस्यता दिलाकर साइकिल से लड़ाए,2019 में भाजपा को सौंप दिए और आरक्षण को भूलकर स्वयं भाजपा के एमएलसी बन गए। उन्होंने कहा कि हम संजय निषाद के नहीं,उनकी नीति व नियत के विरोधी हैं।संजय निषाद जैसे नेताओं ने ही समाज को कमजोर किये हैं।

मुकेश सहनी ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी जब 2014 में वाराणसी चुनाव लड़ने आये तो कहे कि माँ गंगा ने बुलाया है और अपने को चाय बेचने वाला बताया।हम तो असली गंगापुत्र हैं,जब चाय वाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो 2022 में नाव वाला विधायक क्यों नहीं बन सकता?

रैली संयोजक प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटनराम निषाद ने कहा कि निषाद समाज को कमजोर नहीं मजबूत,याचक नहीं शासक बनाने के लिए वीआईपी आई है। मिशन-2022 में भाजपा का साथ तभी दिया जाएगा,जब वह चुनाव से पूर्व निषाद जातियों को एससी आरक्षण का राजपत्र व शासनादेश जारी करा दिया।अगर भाजपा ने वादा पूरा नहीं किया तो वीआईपी मिशन-2022 में अपने दमखम पर या सामाजिक न्याय की विचारधारा वाली पार्टी से गठबंधन कर अपने सिम्बल पर चुनाव लड़ेगी।"अभी नहीं तो कभी नहीं" कि बात करते हुए कहा कि वर्तमान में राज्य व केंद्र दोनों जगह भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है,भाजपा की नीयत ठीक हो तो निषाद जातियों को आरक्षण दे सकती है।जब ईडब्ल्यूएस के नाम सामान्य वर्ग की जातियों को 48 घण्टा में 10 प्रतिशत कोटा दे दिया तो निषाद जातियों से किया वादा पूरा करने में देरी क्यो? निषाद-कश्यप-बिन्द परजुनिया समाज नहीं,169 सीटों पर 40 हजार से 1.20 लाख वोटबैंक वाला समाज है।निषाद कटपीस नहीं थानवाली जातियों का समूह है। उत्तर प्रदेश की 71 विधानसभा क्षेत्रों में 70 हजार से अधिक निषाद वोटर हैं।राजभर 22,चौहान 16,कुशवाहा/मौर्य/शाक्य/सैनी 43,यादव 52,लोधी 63,मुस्लिम 90,जाट 28-30,गूजर 13-15 व कुर्मी 56 सीटों पर प्रभावशाली हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश की 97 सीटों पर निषाद बिन्द कश्यप निर्णायक है।

याद दिलाया कि 5 अक्टूबर, 2012 को भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने फिशरमेन विजन डाक्यूमेन्ट्स जारी करते हुए वायदा किया था कि 2014 में भाजपा की सरकार बनने पर आरक्षण की विसंगती को दूर कर निषाद मछुआरा जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिया व नीली क्रान्ति के माध्यम से आर्थिक विकास किया जायेगा। परन्तु भाजपा ने अभी तक अपना वायदा पूरा नहीं किया। "जब बिल्ली का मुंह गर्म दूध से जल जाता है,तो वह छाछ व मट्ठा भी फूँककर पीती है।" "अभी नहीं तो कभी नहीं" की बात करते हुए कहा कि अगर भाजपा सरकार इस समय आरक्षण नहीं देती है,तो उसके वादे पर विश्वास नहीं। मझवार, तुरैहा, गोड़, बेलदार आदि राष्ट्रपति की प्रथम अधिसूचना जो 10 अगस्त, 1950 को जारी की गयी, उसमें अनुसूचित जाति में शामिल किया गया। उन्होंने इन जातियों को परिभाषित कर मल्लाह, केवट, मांझी, बियार, धीमर, धीवर, तुरहा, गोड़िया, रायकवार, कहार, बाथम आदि को अनुसूचित जाति का आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है।जब से उ.प्र. में भाजपा की सरकार बनी है, निषाद समाज के परम्परागत पुश्तैनी पेशों को माफियाओं के हाथों नीलाम किया जा रहा है। मत्स्य पालन व बालू खनन के पेशों पर माफियाओं का एकछत्र राज कायम है। उ.प्र., बिहार, मध्य प्रदेश, झारखण्ड की सरकारों ने मल्लाह, केवट, बिन्द, धीवर, धीमर, कहार, गोड़िया, तुरहा, बाथम, रायकवार, राजभर, कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा है। परन्तु केन्द्र सरकार ने गम्भीरता से नहीं लिया। आरक्षण नहीं तो मिशन 2022 में वीआईपी का भाजपा से गठबंधन नहीं। उन्होंने सेन्सस 2021 में जातिवार जनगणना व अनुच्छेद-15(4), 16(4) के तहत ओ.बी.सी. को कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका, पदोन्नति व निजी क्षेत्र के उपक्रमों में समानुपातिक आरक्षण कोटा की मांग की।रेल,सेल, जेल,भेल,ओएनजीसी, कोल फील्ड,एयरपोर्ट का निजीकरण पिछडों,वंचितों को आरक्षण व प्रतिनिधित्व से वंचित करने की संघीय साज़िश है। सेन्सस-2021 में जातिगत जनगणना की बात करते हुए कहा कि जब पेड़ों, जानवरों व हिजड़ों की जनगणना करायी जाती है तो पिछड़ों और अगड़ों की क्यों नहीं? कास्ट व क्लास सेन्सस कराने से दूध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा।संविधान की मूलभावना के अनुसार जनकल्याणकारी योजनाओं का उचित संचालन होगा,तभी देश का सही मायने में विकास होगा। "वन नेशन वन एजुकेशन" की बात करते हुए कहा कि हर राज्य में समान शिक्षा व समान पाठ्यक्रम की व्यवस्था होनी चाहिए,अन्यथा असमानता को दूर नहीं किया जा सकता।

प्रदेश महासचिव अनुराग सिंह यादव अन्नु व इं. अमित कुमार सिंह पटेल ने तलवार,धनुष बाण व मछली भेंट कर मुकेश सहनी व प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटनराम निषाद का स्वागत किया। निषाद आरक्षण जनचेतना रैली को राष्ट्रीय अध्यक्ष सन्तोष सहनी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमेश सहनी,राजराराम बिन्द, राष्ट्रीय सचिव कृष्णा बिन्द, निषाद विकास संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल निषाद, वीआईपी के प्रधान प्रदेश महासचिव रामानन्द निषाद, प्रदेश महासचिव अनुराग सिंह यादव अन्नु, प्रदेश उपाध्यक्ष हरिशंकर निषाद, जगदीश नारायण निषाद, अयोध्या प्रसाद निषाद,प्रदेश सचिव ओपी कश्यप,राजू निषाद,झगड़ू राम निषाद,मनोज यादव,वाराणसी, चंदौली, ग़ाज़ीपुर,जौनपुर ,सोनभद्र के जिलाध्यक्ष सूचित कुमार साहनी,मिथलेश बिन्द, अरबिंद कुमार बिन्द प्रधान,इंद्रजीत निषाद एडवोकेट,हिमांचल साहनी,इं. अमित कुमार सिंह पटेल,के के पांडेय,सीमा कश्यप,अंजू बिन्द, रंजना साहनी, दूधनाथ निषाद,खुशबू श्रीवास्तव आदि ने भी संबोधित किया।

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