सारनाथ पक्षी विहार केंद्र में वन्य जीवों के लिए तीन वर्ष से नहीं मिले पशु चिकित्सक

वाराणसी में सारनाथ पक्षी विहार केंद्र में वन्य जीवों के इलाज के लिए तीन वर्षों से बन कर तैयार पशु चिकित्सालय में पशु चिकित्सक की व्यवस्था नही हो पा रही है। जबकि बीमार वन्य जीवों के इलाज के लिए चिरईगांव पशु चिकित्सालय ले जाना पड़ता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 11:02 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 11:02 AM (IST)
सारनाथ पक्षी विहार केंद्र में वन्य जीवों के लिए तीन वर्ष से नहीं मिले पशु चिकित्सक
बीमार वन्य जीवों के इलाज के लिए चिरईगांव पशु चिकित्सालय ले जाना पड़ता है।

वाराणसी, जेएनएन। सारनाथ पक्षी विहार केंद्र में वन्य जीवों के इलाज के लिए तीन वर्षों से बन कर तैयार पशु चिकित्सालय में पशु चिकित्सक की व्यवस्था नही हो पा रही है। जबकि बीमार वन्य जीवों के इलाज के लिए चिरईगांव पशु चिकित्सालय ले जाना पड़ता है।

पक्षी बिहार केंद्र में चीतल, काला हिरन, जलचर पक्षियों के इलाज के लिए वर्ष 2016 में लगभग 17 लाख रुपये की लागत से पशु चिकित्सालय बन कर तैयार हो गया है। इस अस्पताल में चिकित्सक कक्ष, एक्सरे कक्ष और ऑपरेशन कक्ष बन चुका है। वन विभाग तीन वर्षों के बाद भी एक पशु चिकित्सक की व्यवस्था नही कर पाया है। वन विभाग वन्य जीवों के समुचित इलाज के लिए एक एक्सरे मशीन और ऑपरेशन उपकरण बजट के अभाव में नहीं आ सका। जबकि बीमार और घायल वन्य जीवों को इलाज के लिए चिरईगांव पशु चिकित्सालय से पशु चिकित्सक को बुला कर इलाज कराया जाता है।

वहीं डियर पार्क में बने वन्य जीव पोस्टमार्टम हाउस में मृत वन्य जीवों का पोस्टमार्टम किया जाता है। वनक्षेत्राधिकारी ए.के. उपाध्याय ने जागरण को बताया कि इस बाबत शासन से बात चल रही है जल्द ही पशु चिकित्सक की व्यवस्था कर ली जाएगी।

मिनी जू में रह रहे वन्य जीवों में चीतल 108, काला हिरन छह, घड़ियाल दो, मगरमच्छ तीन, हवाशील एक, लोहा सारस एक, जांघिल छह, लवबर्ड छह, लगलग छह, बजरी तीस, इमू चार, ककटिल 25, तोता 12 सहित अन्य जलचर पक्षी हैं।

chat bot
आपका साथी