वाराणसी में एम-2 माडल ईवीएम का सत्यापन पूर्ण, अब यूपी विधानसभा चुनाव में नहीं होगा प्रयोग
भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर इंजीनियरों की टीम ने जिले में एम- 2 माडल ईवीएम का सत्यापन का कार्य पूर्ण कर लिया है। अब इसका प्रयोग विधानसभा चुनाव में नहीं होगा। अगर आगे पंचायत चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल की इजाजत मिली तो इसका उपयोग होगा।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर इंजीनियरों की टीम ने जिले में एम- 2 माडल ईवीएम का सत्यापन का कार्य पूर्ण कर लिया है। अब इसका प्रयोग विधानसभा चुनाव में नहीं होगा। अगर आगे पंचायत चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल की इजाजत मिली तो इसका उपयोग होगा, वरना निष्प्रयोज्य घोषित कर दिया जाएगा। अब सिर्फ एम-3 माडल ईवीएम से ही चुनाव होगा। एम-3 माडल एडवांस तकनीकी से पूरी तरह लैस है। यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में भी इस मशीन का इस्तेमाल हुआ था। पहली बार बिहार विधानसभा में इसका प्रयोग हुआ था। इसके साथ ही अगले वर्ष 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारी का क्रम शुरू कर दिया गया है।
गोदाम में एक हजार से अधिक एम -2 माडल की मशीन
जिले के गोदाम में एम-2 माडल की बीएयू यानी बैलेट यूनिट 1084 है। सीयू (कंट्रोल यूनिट) 939 व वीवी पैट 383 रखी गई है। इन सभी का सत्यापन हो चुका है। इसके अलावा एम- 3 माडल की यहां 4002 बीयू, 1828 सीएयू व 1858 वीवी पैट है। कंपनी के इंजीनियरों की टीम ने इसकी भी जांच पड़ताल पूरी कर ली है।
तकनीकी से लैस एम- 3 मॉडल मशीन
चुनाव प्रशिक्षण में दक्ष विशेषज्ञ बताते हैं कि एम- 3 माडल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या बढ़ने पर भी इसमे कोई दिक्कत नहीं आती है। एम-2 माडल यानी पुरानी इवीएम में 64 से ज्यादा उम्मीदवार होने पर बैलट पेपर इस्तेमाल का निर्देश है। जबकि एम-3 माडल ईवीएम में 200 से अधिक उम्मीदवार होने पर भी बीयू यानी बैलेट यूनिट के जरिए मतदान हो सकता है। बीईएल कंपनी की ओर से निर्मित एम -3 ईवीएम में छोटी- मोटी गड़बड़ी इसके स्क्रीन पर शो करने लगते है। कुछ स्वयं भी ठीक हो जाती है। इसके अलावा सबसे बड़ी विशेषता यह है कि एम -3 ईवीएम में टेंपर डिटेक्टन का फीचर है। छेड़छाड़ पर मशीन बंद हो जाती है, खुलती नहीं है।