थोक और फुटकर बाजार में सब्जियों का भाव गिरा, बाहर भी नहीं भेजी जा रही सब्जियां

हरी सब्जियों का भाव धराशायी होने के कारण उत्पादक मायूस हैं। वहीं उपभोक्ताओं की बल्ले-बल्ले है। क्षेत्र में हरी सब्जियों की अच्छी पैदावार होती है जो बाहर के शहरों तक पहुंचता है। ट्रेनों का परिचालन ठप हो जाने के कारण बाहर के शहरों में सब्जी भेजने का सिलसिला ठप है।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 07:50 AM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 07:50 AM (IST)
थोक और फुटकर बाजार में सब्जियों का भाव गिरा, बाहर भी नहीं भेजी जा रही सब्जियां
हरी सब्जियों का भाव धराशायी होने के कारण उत्पादक मायूस हैं।

बलिया, जेएनएन। हरी सब्जियों का भाव धराशायी होने के कारण उत्पादक मायूस हैं। वहीं उपभोक्ताओं की बल्ले-बल्ले है। इन दिनों क्षेत्र में हरी सब्जियों की अच्छी पैदावार होती है जो बाहर के शहरों तक पहुंचता है। दरअसल मांग के सापेक्ष सब्जियों का उत्‍पादन कहीं अधिक होने की वजह से भाव अब गिरने लगा है।  

कोविड-19 के चलते ट्रेनों का परिचालन ठप हो जाने के कारण बाहर के शहरों में सब्जी भेजने का सिलसिला लगभग ठप हो गया है। इस कारण उत्पादन के अनुपात में खपत कम हो गई है। वहीं खरवास के बाद लग्न मुहूर्त नहीं होने के कारण शादी विवाह आदि का आयोजन नहीं होने से हरी सब्जियों की खपत प्रभावित है। एक महीना पहले 30 रुपये में बिकने वाली गोभी इन दिनों पांच रुपये में मिल रही है। 30 से 40 रुपये किलो बिकने वाला मटर का छीीमी 15 रुपये किलो बिक रहा है। 30 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर 15 रुपये किलो बिक रहा है। 

यही स्थिति अन्य हरी सब्जियों की भी है। किसी किसी दिन तो खरीदार नहीं मिलने पर सब्जी उत्पादक अपनी सब्जियों को लोगों को फ्री में बांट कर चले जा रहे हैं। सब्जी  उत्पादक किसान राम जियावन, हरि राम, केशव प्रजापति, कृष्ण मुरारी  आदि किसानों का कहना है कि यही स्थिति रही तो सब्जी की खेती का लागत भी नहीं निकल पाएगा। वहीं सब्जी उपभोक्ताओं की बल्ले बल्ले है क्योंकि 50 रुपये में झोला भर सब्जी मिल जा रही है। सब्जी उत्पादक किसान अपनी लागत कैसे निकाले उनके समझ में नहीं आ रहा है। 

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