वाराणसी को जल्द मिलेंगी 50 इलेक्ट्रिक बसें, लखनऊ में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन सड़क पर शुरू

लखनऊ में इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू होने के साथ बनारस में भी जल्द चलेंगी। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के एमडी ने स्थानीय अधिकारी से बस के चार्जिंग पॉइंट की प्रगति रिपोर्ट मांगी है। साथ ही अक्टूबर तक हरहाल में काम पूरा करने का निर्देश दिया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 12:44 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 12:44 PM (IST)
वाराणसी को जल्द मिलेंगी 50 इलेक्ट्रिक बसें, लखनऊ में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन सड़क पर शुरू
लखनऊ में इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू होने के साथ बनारस में भी जल्द चलेंगी।

वाराणसी [जेपी पांडेय]। लखनऊ में इलेक्ट्रिक बस सेवा शुरू होने के साथ बनारस में भी जल्द चलेंगी। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के एमडी ने स्थानीय अधिकारी से बस के चार्जिंग पॉइंट की प्रगति रिपोर्ट मांगी है। साथ ही अक्टूबर तक हरहाल में काम पूरा करने का निर्देश दिया है।

मिर्जामुराद में बन रहे सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज के इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग स्टेशन का काम तेजी से चल रहा। बाउंड्री करने के साथ प्लेटफार्म का काम चल रहा है। कार्यदायी संस्था को हरहाल में अक्टूबर तक काम पूरा करने का निर्देश दिया गया है साथ ही स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वह सप्ताह में कार्य स्थल का निरीक्षण कर प्रगति रिपोर्ट से मुख्यालय को अवगत कराएं, यदि कोई बाधा होती है तो उसे तत्काल दूर करें।

कहा गया है कि जरूरत पड़े तो प्रशासनिक अधिकारियों से भी संपर्क कर खुद पूरे घटनाक्रम से मुख्यालय को अवगत कराएं। यहां पर 50 इलेक्ट्रिक बसों की चार्जिंग सुविधा व मेंटनेंस का काम होगा।बनारस में बढ़ते वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने व ईंधन (डीजल) की बचत हेतु इलेक्ट्रिक बसे चलाई जाएंगी। बसें बन कर तैयार हैं।कंपनी के अधिकारी कई बार निगम के अधिकारियों से संपर्क कर बस देने की बात की, वह बार बार मोहलत मांगते रहे।

चार्जिंग डिपो बनते ही शहर की सड़को पर बसे दौड़ने लगेंगी। बस चार्जिंग स्टेशन बनाने के लिए 12 करोड़ 30 लाख स्वीकृत हैं। इसे जल निगम के कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज द्वारा कराया जा रहा हैं। मिर्जामुराद के गौर गांव में ग्राम पंचायत द्वारा वर्ष 2019 में हाइवे किनारे इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग डिपो बनाने का प्रस्ताव बना आराजी नम्बर 93 ड.रकवा 0.745 से 0.635 हेक्टेयर (करीब 53 बिस्वा) भूमि दिया गया।

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