वर्ष 1963 में स्थापित हुआ था वाराणसी होलसेल सेंटर, 58 साल में कारोबार ने देखे कई दौर

1963 में स्थापित संस्था ने तात्कालिक उद्देश्यों व लक्ष्यों को पूरा करने की भरपूर कोशिश की है। आजादी के बाद से सस्ता सामान व रोजगार उपलब्ध कराना सरकारों की प्राथमिकता रही है। यही कारण है कि संस्था 1980 से 2000 के बीच अपने शिखर पर थी।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 01:00 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 01:00 PM (IST)
वर्ष 1963 में स्थापित हुआ था वाराणसी होलसेल सेंटर, 58 साल में कारोबार ने देखे कई दौर
1963 में स्थापित संस्था ने तात्कालिक उद्देश्यों व लक्ष्यों को पूरा करने की भरपूर कोशिश की है।

वाराणसी, जेएनएन। सहकारिता के जरिए आमजन को थोक की  कीमत पर सस्ते मूल्य में फुटकर सामग्री व लोगों को रोजगार मुहैया कराने तथा सहकारिता आंदोलन को शिखर पर ले जाने के उद्देश्य में दी वाराणसी होलसेल कन्ज्यूमर सेंट्रल कोआपरेटिव स्टोर नदेसर, वाराणसी ने बहुत हद तक पूरा किया है। कोरोना काल संस्‍था के लिए भी विकास में अवरोधक सिद्ध हुआ, लेकिन पुराने व नए विकल्‍पों के साथ संस्‍था ने अब ढलान से उबरने की कोश‍िश शुरू कर दी है।

1963 में स्थापित संस्था ने तात्कालिक उद्देश्यों व लक्ष्यों को पूरा करने की भरपूर कोशिश की है। आजादी के बाद से सस्ता सामान व रोजगार उपलब्ध कराना सरकारों की प्राथमिकता रही है। यही कारण है कि संस्था 1980 से 2000 के बीच अपने शिखर पर थी। सचिव अवधेश कुमार सिंह बताते हैं कि एक समय संस्था प्रतिदिन लाखों रुपये की बिक्री करती थी जो वर्तमान में प्रतिदिन दस हजार रुपये की बिक्री बमुश्किल कर पा रही है।

स्वर्णिम स्थिति में पहुंची संस्था : जानकारी के मुताबिक संस्था का उत्कर्ष पं. ब्रह्मदेव मिश्र, दयाशंकर मिश्र और पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह के अध्यक्षीय कार्यकाल में हुआ। यह 1980-2000 का दौर था। दरअसल, शिखर पर पहुंचने के भी कई कारण रहे। संस्था में बिक्री के लिए कस्टम का सामान व कंट्रोल के कम कीमत के गुणवत्तायुक्त कपड़ों ने बड़ी भूमिका निभाई। उन्‍हीं मंत्रों व और बेहतर विकल्‍पों के साथ एक बार फ‍िर संस्था पुराने दौर को दोहराने की तैयारी में है। वर्तमान अध्यक्ष आदित्य नारायण परमार ने संस्था के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए, जिनके सकारात्मक परिणाम सामने आए, लेकिन मार्च 2020 में आयी कोरोना महामारी और लाकडाउन ने इन प्रयासों को बड़ा झटका दिया। अध्यक्ष ने बताया कि अभी संस्था में स्टाक की कीमत बाजार मूल्य से 10 से 25 फीसद तक कम है। सभी उत्पाद एमआरपी से काफी कम मूल्य में बेचे जाते हैं। बताया कि भविष्य को लेकर संचालक मंडल ने स्टोर के विस्तारीकरण के साथ ही पूर्ण कंप्यूटराइजेशन तथा काउंटरों की संख्या बढ़ाने के भी फैसले लिए हैं। बढ़ती महंगाई के दौर में दी वाराणसी होलसेल सेंट्रल कंज्यूमर्स कोआपरेटिव स्टोर में बहुत जल्द हिमालया, बैजनाथ, अमूल व पराग के सभी उत्पाद सस्ते दामों में उपलब्ध होंगे। यहां ऐसी कंपनियों के स्टाल लगाने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। सबकुछ ठीक रहा तो आगामी दो महीने में ग्राहकों को इन कंपनियों के सामान मिलने लगेंगे।

महंगाई में कैसे हो रही बचत : बहरहाल, पेट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते घरेलू से लेकर अन्य सामानों के दामों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इतने में भी एक ही प्रकार के उत्पाद की खरीद पर ग्राहकों को काेआपरेटिव स्टोर में ज्यादा बचत होगी। उदाहरण के तौर पर यहां मौजूद एक कर्मी ने बताया कि बाजार में एक वस्तु की खरीद के मूल्य की तुलना में यहां कोआपरेटिव द्वारा खरीदे गए वस्तु के मूल्य और उसके तीन फीसद को जोड़कर ग्राहकों को बेचा जाता है। सामानों की कीमतों में बेतहाशा उछाल के कारण ग्राहकों की जरूरतें इनदिनों घट गई हैं। एक ग्राहक के मुताबिक पहले हर महीने पांच किलों दाल खरीदी जाती थी, लेकिन अब डेढ़ से दो किलो में काम चलाया जा रहा है। यही कारण है कि कोआपरेटिव स्टोर पर हर रोज 20 हजार यानी महीने में छह लाख कारोबार घटकर पांच हजार यानी 15 हजार महीना में सिमट गया है।

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