IRAD App पर डेटा फीडिंग में वाराणसी अव्वल, हाइवे पर दुर्घटना पर रोक लगाने में तेजी हुआ काम

पिछले छह माह से इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस को लेकर जिले में काम हो रहा है। वाराणसी बरेली समेत 16 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे प्रभावी किए जाने की बात है। इस एप पर दुर्घटना से संबंधित सभी कारणों को अपलोड किया जा रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 09:20 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 01:41 PM (IST)
IRAD App  पर डेटा फीडिंग में वाराणसी अव्वल, हाइवे पर दुर्घटना पर रोक लगाने में तेजी हुआ काम
छह माह से इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस ( आई रैड एप ) को लेकर जिले में काम हो रहा है।

वाराणसी, जेएनएन। हाइवे पर आए दिन हो रही सड़क दुर्घटना पर रोक लगाने के लिए पिछले छह माह से इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस ( आई रैड एप ) को लेकर जिले में काम हो रहा है। वाराणसी, बरेली समेत 16 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे प्रभावी किए जाने की बात है। इस एप पर दुर्घटना से संबंधित सभी कारणों को अपलोड किया जा रहा है। इसके बाद इस एप के जरिए दुर्घटना की वजह तलाशी जा रही है। इसी क्रम में भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एनआइसी के साथ मिलकर एकीकृत सड़क सुरक्षा डाटा बेस तैयार कर रहा है। इस कार्य में वाराणसी प्रदेश में अव्वल है। वाराणसी में 146 रोड दुर्घटना के केस दर्ज कर प्रथम स्थान पर तो वहीं 212 केस दर्ज कर दूसरे स्थान पर बरेली व तीसरे पर 101 केस के साथ गाजियाबाद है।

इंटीग्रेट रोड एक्सीडेंट डेटाबेस यानी आई रैड एप पर जिले में होने वाली दुर्घटनाओं का विवरण दर्ज होने के बाद आईआईटी मद्रास के विशेषज्ञ की अध्ययन करती है। इसी आधार पर हादसों पर रोक लगाने की योजना तैयार हो रही है। परिवहन विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारियों को अपर पुलिस उपायुक्त यातायात कमिश्नरेट विकास कुमार एवं जिला सूचना विज्ञान अधिकारी प्रसन्न पांडे, एआरटीओ प्रशासन सर्वेश चतुर्वेदी के निर्देशन में रोल आउट मैनेजर चंद्रकांत तिवारी की अेार से समस्त थानाध्यक्ष व प्रभारी निरीक्षक को प्रशिक्षण दिया जा चुका है I दुर्घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचने वाले पुलिसकर्मी को एप पर हादसे से जुड़ी जानकारी जैसे हादसे की तारीख, समय, दुर्घटना स्थल संबंधित वाहन दुर्घटना का संभावित कारण आदि अपलोड करना होता है। अपलोड होते ही पूरा विवरण स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग व लोक निर्माण विभाग के पास पहुंच जाता है। संबंधित विभाग इसी के आधार पर आगे की कार्यवाही सुनिश्चित करती है।

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