प्राइमरी रडार से सुरक्षित होगा वाराणसी का आसमान, जम्मू एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले के बाद एयरपोर्ट अथारिटी सक्रिय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य बनाने के लिए एयरपोर्ट पर सेकेंडरी रडार के साथ अत्याधुनिक प्राइमरी रडार स्थापित किए जाएंगे। नया रडार भवन एक साल में बना लेने की योजना है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 07:10 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 09:32 AM (IST)
प्राइमरी रडार से सुरक्षित होगा वाराणसी का आसमान, जम्मू एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले के बाद एयरपोर्ट अथारिटी सक्रिय
वाराणसी एयरपोर्ट पर सेकेंडरी रडार के साथ अत्याधुनिक प्राइमरी रडार स्थापित किए जाएंगे।

वाराणसी, प्रवीण यश। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य बनाने के लिए एयरपोर्ट पर सेकेंडरी रडार के साथ अत्याधुनिक प्राइमरी रडार स्थापित किए जाएंगे। नया रडार भवन एक साल में बना लेने की योजना है। प्राइमरी रडार की मदद से आसमान में सभी प्रकार के विमान, हेलीकाप्टर और ड्रोन पर दूर से ही सटीक नजर रखी जा सकेगी।

अधिकारियों ने बताया कि वाराणसी एयरपोर्ट पर पहले से सेकेंडरी रडार है। पीएम का संसदीय क्षेत्र होने से यहां वीवीआइपी गतिविधियां काफी अधिक हैैं। वहीं, पिछले महीने भारतीय वायुसेना के जम्मू एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले के बाद अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत महसूस की जा रही थी। इसी कड़ी में वाराणसी एयरपोर्ट पर सेकेंडरी रडार को अपग्रेड करने के साथ दुश्मनों के ड्रोन पर नजर रखने के लिए अत्याधुनिक प्राइमरी रडार स्थापित किए जा रहे हैैं। अधिकारियों ने बताया कि जयपुर, नागपुर और बेंगलुरु में भी प्राइमरी रडार स्थापित करने की योजना है। दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई और लखनऊ एयरपोर्ट पर पहले से प्राइमरी रडार हैैं।

सेकेंडरी रडार से 463 किमी दूर रहेगी नजर

खासतौर पर आम दिनों में संचालित होने वाले विमान, हेलीकाप्टर की सटीक जानकारी के लिए इस्तेमाल होते हैैं। इनके लिए ट्रांसपोंडर की आवश्यकता होती है। इसका मतलब हवा में उड़ रहे विमान, हेलीकाप्टर में लगे उपकरणों से उसकी दूरी, ऊंचाई, दिशा, गति आदि की जानकारी मिल जाती है। वाराणसी एयरपोर्ट पर सेकेंडरी रडार को अपग्रेड कर देने के बाद इससे 463 किलोमीटर दूर तक हवाई क्षेत्र की निगरानी की जा सकेगी।

ड्रोन हमले को विफल बनाएगा प्राइमरी रडार

सुरक्षा उद्देश्य विशेष रूप से ड्रोन के बढ़ते खतरे को देखते हुए इसकी भूमिका अहम है। प्राइमरी रडार को ट्रांसपोंडर की आवश्यकता नहीं होती है। इसका मतलब हवा में उड़ रहे विमान, हेलीकाप्टर या ड्रोन से रडार तक सूचनाएं नहीं भेजी जाएंगी तो भी यह उनकी दूरी, ऊंचाई, दिशा, गति की सटीक जानकारी देगा। वाराणसी एयरपोर्ट पर लगने जा रहे प्राइमरी रडार से 111 किलोमीटर दूर के हवाई क्षेत्र की निगरानी की जा सकेगी।

25 करोड़ रुपये आएगा खर्च

वाराणसी एयरपोर्ट पर अत्याधुनिक रडार भवन की स्थापना के लिए सोमवार को एयरपोर्ट निदेशक आकाशदीप माथुर ने भूमि पूजन किया। इसके निर्माण में 4.66 करोड़ रुपये की लागत आएगी और जून 2022 तक तैयार हो जाएगा। प्राइमरी और सेकेंडरी रडार को स्थापित करने में करीब 20 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

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