Varanasi Panchayat Election : पत्नियां नहीं बचा सकी पतियों की लाज, महिला सीट होने पर लड़ाया था प्रधानी और बीडीसी का चुनाव
आठों ब्लाक के कई ग्राम पंचायत क्षेत्र में महिला सीट होने पर पुरुषों ने अपनी पत्नियों को मैदान में उतार दिया। सिर्फ कहने को पत्नी प्रधान होती है लेकिन सारा काम उनके पति ही करते हैं। इस बार कई निवर्तमान प्रधान की गणित फेल हो गई।
वाराणसी [जेपी पांडेय]। गांव की सरकार में अपनी दखल बनाए रखने के लिए लोग जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत तथा ग्राम प्रधान पद पर चुनाव लड़ते हैं। पंचायत चुनाव की जारी आरक्षण सूची में कई लोगों की गणित गड़बड़ा गई। सुरक्षित के साथ महिला होने पर लोगों ने अपनी पत्नी को पंचायत चुनाव लड़ा दिया जिससे गांव की सरकार में उनका दखल बना रहे। महिला सीट होने पर पत्नियों को पंचायत चुनाव लड़ाया लेकिन वे अपने पत्नी की लाज नहीं बचा सकी। उनके हार के साथ गांव की सरकार से दूर हो गए।
सामाजिक प्रतिष्ठा, राजनीतिक पकड़ बनाए रखने और संरक्षण के लिए लोग चुनाव लड़ते हैं। जीत के साथ अपने कारोबार को भी बढ़ाते हैं। आठों ब्लाक के कई ग्राम पंचायत क्षेत्र में महिला सीट होने पर पुरुषों ने अपनी पत्नियों को मैदान में उतार दिया। सिर्फ कहने को पत्नी प्रधान होती है लेकिन सारा काम उनके पति ही करते हैं। इस बार कई निवर्तमान प्रधान की गणित फेल हो गई और गांव की सरकार से बाहर हो गए। काशी विद्यापीठ ब्लाक के जफराबाद गांव के निवर्तमान प्रधान प्रभात पांडेय ने महिला सीट होने पर अपनी पत्नी कुमकुम पांडेय को प्रधानी का चुनाव लड़ाया लेकिन वे हार गई। चांदपुर के निवर्तमान प्रधान आरडी यादव की पत्नी सुशीला देवी, महमूदपुर गांव के निवर्तमान प्रधान सरवन की पत्नी तजम्मुलजहां को भी हार का स्वाद चखना पड़ा।
सेवापुरी ब्लाक के बनकट गांव के निवर्तमान प्रधान जवाहिर मौर्य ने पत्नी फुलबाशा तथा चिरईगांव ब्लाक के बरियासनपुर के निवर्तमान ग्राम प्रधान ने पत्नी चिरावजी, सरसौल के निवर्तमान ग्राम प्रधान ने पत्नी निर्मला, मढ़नी के निवर्तमान ग्राम प्रधान ने पत्नी सुशीला देवी, सिरिस्ती के निवर्तमान ग्राम प्रधान ने पत्नी कृष्णावती, छाहीं की निवर्तमान ग्राम प्रधान ने पत्नी गीता यादव को चुनाव लड़ाया लेकिन सभी हार गई। इसी ब्लाक के निवर्तमान ब्लाक प्रमुख वंदना सिंह पियरी से बीडीसी का चुनाव हार गई। पति सुधीर सिंह सुल्तानपुर और उमरहां गांव बीडीसी का चुनाव नहीं जीत सके। सुधीर सिंह को था कि मैं नहीं तो पत्नी चुनाव जीत जाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हो सका।