Varanasi Gyanvapi Case : दायर दो नए वाद मुकदमा के रूप में दर्ज करने का आदेश, 22 को होगी सुनवाई

Varanasi Gyanvapi Case ज्ञानवापी परिसर स्थित ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ व श्रीनंदी महाराज की ओर से पक्षकारों द्वारा दायर दो नए वादों की सुनवाई के लिए अदालत तैयार है। अदालत ने दोनों मुकदमों में अग्रिम सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तिथि मुकर्रर की है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 08:56 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 08:56 PM (IST)
Varanasi Gyanvapi Case : दायर दो नए वाद मुकदमा के रूप में दर्ज करने का आदेश, 22 को होगी सुनवाई
अदालत ने दोनों मुकदमों में अग्रिम सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तिथि मुकर्रर की है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर स्थित ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ व श्रीनंदी महाराज की ओर से पक्षकारों द्वारा दायर दो नए वादों की सुनवाई के लिए अदालत तैयार है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने दोनों वादों को मुकदमा (मूलवाद) के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया है। दोनों वादों की पोषणीयता के बिंदु पर गत गुरुवार को पक्षकारों की बहस सुनने के पश्चात अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। अदालत ने दोनों मुकदमों में अग्रिम सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तिथि मुकर्रर की है।

ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वर और नंदीजी महाराज के पक्षकारों शीतला माता मंदिर के महंत पं. शिव प्रसाद पांडेय, मीरघाट निवासी सितेंद्र चौधरी समेत अन्य ने दोनों वाद दाखिल किए थे। दोनों वादों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और अन्य अधिवक्ताओं ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि ज्ञानवापी का संपूर्ण क्षेत्र ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ का है। वेद पुराणों में इसकी प्रामाणिकता उल्लेखित है। ज्ञानवापी के तहखाने में अब भी ज्योतिर्लिंग विद्यमान है। मुगल शासक औरंगजेब के फरमान पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। परिसर में सदियों से मौजूद नंदीजी महाराज इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि करते हैं कि आज भी उक्त ज्योतिर्लिंग की तरफ उनका मुख मौजूद है। अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने यह भी दलील दी कि सतयुग से पहले भगवान शिव ने स्वयं ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। हिंदुओं को ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वरनाथ, मां शृंगार गौरी की पूजा-पाठ करने का पूरा अधिकार है।

सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की तरफ से रईस अहमद अंसारी, एखलाख अहमद और मुमताज अहमद की दलील थी कि उक्त मामले में वक्फ बोर्ड को पक्ष नहीं बनाया जा सकता। ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। वक्फ संपत्ति की सुनवाई का क्षेत्राधिकार लखनऊ स्थित वक्फ बोर्ड को है। उन्होंने दोनों वादों पर आपत्ति जताते हुए इसे मूलवाद के रूप में दर्ज नहीं करने की दलील दी। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद दोनों वादों को मूल वाद के रूप में दर्ज करते हुए सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।

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