वाराणसी में डग्‍गामारी से अवैध कमाई का बड़ा कारोबार, आखिर जाते कहां हैं वसूली के लाखों रुपये

कैंट स्टेशन से रोडवेज स्टैंड तक संचालित स्टैंडों से हर माह आठ से 10 लाख रुपये वसूली होती है। यह वसूली का पैसा कहां और किसके पास जाता है यह किसी को पता नहीं है। दबंग किस्म के लोग और उनके गुर्गे स्टैंड के आसपास वसूली करते हुए नजर आएंगे।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 06:01 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 06:01 AM (IST)
वाराणसी में डग्‍गामारी से अवैध कमाई का बड़ा कारोबार, आखिर जाते कहां हैं वसूली के लाखों रुपये
कैंट स्टेशन से रोडवेज बस स्टैंड तक संचालित स्टैंडों से हर माह आठ से 10 लाख रुपये वसूली होती है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। कैंट रेलवे स्टेशन से रोडवेज बस स्टैंड तक संचालित स्टैंडों से हर माह आठ से 10 लाख रुपये वसूली होती है। यह वसूली का पैसा कहां और किसके पास जाता है, यह किसी को पता नहीं है। दबंग किस्म के लोग और उनके गुर्गे स्टैंड के आसपास वसूली करते हुए नजर आएंगे। इन अवैध स्टैंडों से वसूली का मामला कई बार उजागर हो चुका है। पिछले सालों पुलिस वसूली करने वालों को पकड़कर जेल तक भेज चुकी है। लेकिन, अधिकारी बदलने के साथ फिर खेल शुरू हो जाता है।

कमिश्नरेट व्यवस्था शुरू होने के साथ पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश ने दबंगों, भू-माफिया, गैंगस्टर और वसूली करने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसका असर भी दिखाई पड़ा लेकिन अवैध वाहन स्टैंड संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। नतीजा सामने है, आए दिन रोडवेज बस स्टैंड के पास मारपीट की घटनाएं होती रहती है। मामला पुलिस के पास भी पहुंचता है लेकिन आगे कार्रवाई होने की बजाय पुलिस के सामने समझौता हो जाता है।

क्या है डग्गामार वाहन : डग्गामार वाहन (शर्तों का उल्लंघन करने वाले वाहन)। परिवहन विभाग की ओर से छोटे-बड़े सभी वाहनों को अलग-अलग मार्गों पर परमिट जारी किया जाता है। परमिट के साथ उन्हें उसी मार्ग पर चलने का निर्देश होता है। शर्तों का उल्लंघन करने पर उनका परमिट निरस्त कर दिया जाएगा। रोडवेज बस स्टैंड के आसपास से चलने वाले बसों का परमिट दूसरे रूट का है।

प्रमुख सचिव का आदेश दाखिल दफ्तर : वर्ष 2012 में तत्कालीन प्रमुख सचिव ने आदेश जारी किया था कि रोडवेज बस स्टैंड से एक किलोमीटर की दायरे में किसी तरह के निजी वाहन स्टैंड संचालित नहीं होंगे। तत्कालीन जिलाधिकारी और तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को आदेश का पालन कराने को कहा था। इसके लिए डीएम की ओर से कमेटी भी गठित की गई लेकिन अधिकारियों के जाते ही आदेश दाखिल दफ्तर हो गया।

अवैध वसूली में भेजे जा चुके हैं जेल : वर्ष 2015-16 में शहर में संचालित अवैध वाहन स्टैंड से वसूली के खेल उजागर हुआ था। कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने में तत्कालीन क्षेत्रधिकारी आइपीएस अनुराग आर्या की मुख्य भूमिका रही। उन्होंने अवैध वाहन स्टैंड और उसे पोषित करने वालों की पड़ताल की। इस दौरान रोडवेज, लहरतारा, भिखारीपुर और रामनगर क्षेत्र में अवैध स्टैंड संचालित होने का मामला सामने आया था। इसमें संलिप्त लोगों को गिरफ्तार करने के साथ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया। इनमें कई लोग अभी जमानत पर बाहर हैं। इस धंधे में दबंगों के साथ विभागीय कर्मचारियों की संलिप्तता होने के चलते कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है।

रोडवेज की कमाई में सेंध : कैंट रेलवे स्टेशन से रोडवेज बस स्टैंड तक संचालित अवैध वाहन स्टैंड से परिवहन निगम को रोजाना लाखों रुपये राजस्व क्षति पहुंचा है। बेहतर यात्री सुविधा और संसाधनों की बदौलत प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले वाराणसी परिक्षेत्र की आमदनी का ग्राफ गिरता जा रहा है। संपूर्ण बंदी के बाद खुद को साबित करते हुए वाराणसी परिक्षेत्र ने औसतन 55 लाख रुपये रोज कमाकर राजस्व वृद्धि में योगदान दिया। आसपास क्षेत्रों डग्गामारी के चलते आमदनी घटकर आधी हो गई। आजमगढ, जौनपुर, प्रयागराज और बैढऩ समेत लोकल रूट पर निजी वाहन संचालकों का दबदबा बढ़ गया।

यहां इतने रुपये होती है वसूली

-प्रयागराज कार स्टैंड से रोज चार से पांच हजार रुपये वसूली प्रतिदिन

-बिहार जाने वाले क्रूजर (कार) से रोज तीन हजार रुपये

-कैंट स्टेशन के गेट नंबर तीन से 1.20लाख रुपये महीना

-रोडवेज कार्यशाला से बिहार जाने वाली बसों से पांच से दस हजार रुपये महीना, अन्य वसूली अलग है।

(नोट: वसूली के आंकड़े सूत्रों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है।)

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