वाराणसी के सितार वादक देवब्रत मिश्र ने 64 वें ग्रैमी अवार्ड की पहली बाधा पार की

यूनेस्‍को के क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में वाराणसी शहर विश्‍व विरासत के तौर पर सिटी आफ म्‍यूजिक के तौर पर शामिल हो चुका है। संगीत की विरासत को आगे बढ़ाने का जिम्‍मा नई पीढ़ी को मिला तो काशी का डंका विश्‍व में अब भी उसी रुतबे के साथ बज रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 07 Nov 2021 09:54 PM (IST) Updated:Sun, 07 Nov 2021 09:54 PM (IST)
वाराणसी के सितार वादक देवब्रत मिश्र ने 64 वें ग्रैमी अवार्ड की पहली बाधा पार की
64वें ग्रैमी अवार्ड में नामांकन के बाद अगले चरण के लिए वाराणसी के देवब्रत मिश्र का चयन किया गया है।

वाराणसी, इंटरनेट डेस्‍क। धर्म आध्‍यात्‍म ही नहीं बल्कि संगीत की नगरी भी काशी मानी जाती है। सितारवादक रविशंकर से लेकर उस्‍ताद बिस्मिल्‍लाह खान की शहनाई की धुन तक विश्‍व भर में अपनी अनोखी पहचान बना चुकी है। यूनेस्‍को के क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में वाराणसी शहर विश्‍व विरासत के तौर पर 'सिटी आफ म्‍यूजिक' के तौर पर शामिल हो चुका है। अब संगीत की विरासत को आगे बढ़ाने का जिम्‍मा नई पीढ़ी को मिला तो काशी का डंका विश्‍व में अब भी उसी रुतबे के साथ बज रहा है।

64 वें ग्रैमी अवार्ड में नामांकन के बाद अगले चरण के लिए वाराणसी के देवब्रत मिश्र का चयन किया गया है। इस लिहाज से ग्रैमी अवार्ड के लिए अब एक कदम और आगे बनारस घराने के सितारवादक देवब्रत मिश्र बढ़ गए हैं। ग्रैमी अवार्ड के 64 वें संस्‍करण के लिए उनका न्यू एज म्यूजिक एल्बम 'योग मंत्र' अक्‍टूबर में अवार्ड के लिए चयनित किया गया था। इसके बाद अब नवंबर की शुरुआत उनके लिए काफी यादगार बन गया जब संगीत के लिए सबसे बड़ा ग्रैमी अवार्ड के लिए दूसरे चरण में उनके एल्‍बम का चयन कर लिया गया है। 

ग्रैमी अवार्ड के लिए उनके एल्बम का चयन होने के बाद उन्‍होंने सभी को धन्यवाद दिया था। योग मंत्रा में गायन और सितार वादन पंडित देवब्रत मिश्र ने स्‍वयं किया है जबकि अमेरिका के डीन एवेंसन की बांसुरी धुन और प्रशांत मिश्रा ने तबला वादन किया है। इस बाबत देवब्रत मिश्र ने लोगों का समर्थन के लिए आभार भी जताया है। वहीं लोगों से वोटिंग के लिए उन्‍होंने अपील भी की थी। उनका यह न्यू एज एल्बम 'योग मंत्र' संस्कृत भाषा में गाया गया है। यह पूरी तरह से भारतीय शास्त्रीय रागों पर आधारित है। बताते चलें क‍ि अवार्ड की घोषणा 31 जनवरी 2022 को की जाएगी। इससे पूर्व वाराणसी के ही सितारवादक पं. रविशंकर को यह सम्‍मान हासिल हो चुका है। 

chat bot
आपका साथी