Varanasi City Weather Update : आसमान में बादलों का डेरा, बरसात नहीं हुई लेकिन मौसम सुहाना
Varanasi City Weather Update वाराणसी गुरुवार को सुबह से पानी नहीं वर्षा और इस कारण से मौसम सुहाना बना हुआ है। मंगलवार रात और बुधवार की सुबह जमकर बरसात हुई। बरसात के कारण तापमान में भी गिरावट हुई है।
वाराणसी, इंटरनेट डेस्क। Varanasi City Weather Update : वाराणसी गुरुवार को सुबह से पानी नहीं वर्षा और इस कारण से मौसम सुहाना बना हुआ है। मंगलवार रात और बुधवार की सुबह जमकर बरसात हुई। बरसात के कारण तापमान में भी गिरावट हुई है। गत सप्ताह उमस और गर्मी के कारण लोग परेशान थे। मौसम विभाग के अनुसार मानसून अब कुछ दिनों तक समस्त उत्तर भारत में सक्रिय रहेगा।
मौसम विभाग का अनुमान है कि बनारस में अभी कुछ और दिन बारिश का आलम बरकरार रहेगा। विगत कुछ दिनों गर्मी और उमस झेलने के बाद लोगों को काफी राहत मिल गई। बनारस का अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस तो वहीं न्यूनतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस तक गया। पारा के दोनों ही छोर सामान्य तापमान के बराबर ही दर्ज किए गए। बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मानसून अब कुछ दिनों तक समस्त उत्तर भारत में सक्रिय रहेगा, वहीं पश्चिम और पूरब दोनाें दिशाओं से हवाएं चल रहीं हैं इस कारण से वर्षा ठीक-ठाक हुई। अभी चार-पांच दिन तक कुछ इसी तरह से बारिश की संभावना बनी हुई है। बीते दिनों जिस तरह से उमस का दौर जारी था उससे दाे दिन पहले ही ऐसी वर्षा अनुमानित थी। कई दिनों से उमस 80 फीसद के आसपास थी, जो कि बारिश के लिए उचित वातावरण तैयार कर चुकी थी।
वाराणसी में गंगा जलस्तर स्थिर है। मऊ में सरयू का जल स्तर कम हो रहा है। बलिया में गंगा और सरयू नदी के जलस्तर में धीमी गति से लगातार घटाव जारी है लेकिन कटान का खतरा अभी नहीं टला है। नदियों में पानी कम होने के बाद सिकंदपुर व बैरिया तहसील के किसानों की उपजाऊ भूमि नदी में समाहित हो रही है। कटान से ज्यादा प्रभावित सरयू नदी का तटवर्ती इलाका है।
जिलों के किसानाें का कहना है कि सिंचाई विभाग किसानों की भूमि बचाने के उद्देश्य से कहीं भी सुरक्षात्मक कार्य नहीं करता। किसानों की जमीन निगलने के बाद जब नदी गांव का अस्तित्व मिटाने को आतुर होती है, तब विभाग की ओर से बचाव कार्य शुरू होता है। हर साल बाढ़ की तबाही झेलने वाले गांवों के लोेग बतातेे हैं कि अगस्त से सितंबर तक बाढ़ का खतरा ज्यादा रहता है। कभी-कभी तो अक्टूबर में दशहरा के दौरान भी नदियां उफान पर हो जातीं हैं। नदियों में घटाव देख तटवर्ती लोगों को निश्चिंत होना खतरे से खाली नहीं है। बहुत से स्थानों पर कटानरोधी कार्य अधूरे पड़े है।