तंत्र के गण : टीम निशांत ने गाजीपुर में किया एक लाख से ज्यादा घरों को सैनिटाइज

गाजीपुर के निशांत ने खुद सैनिटाइजर बनाकर और सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया सीखकर जिले भर के एक लाख से अधिक घरों को निश्शुल्क सैनिटाइज किया। जुनून के साथ-साथ परिवार की भी चिंता थी। इसलिए वे परिवार से ढाई माह दूर रहे। इसमें उनका साथ दिया उनके छह साथियों ने।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 08:30 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 10:44 AM (IST)
तंत्र के गण : टीम निशांत ने गाजीपुर में किया एक लाख से ज्यादा घरों को सैनिटाइज
टीम निशांत ने गाजीपुर में एक लाख से ज्यादा घरों को सैनिटाइज किया।

गाजीपुर [सर्वेश कुमार मिश्र]। यह हैं निशांत सिंह, जिन्हेंं सच्चे अर्थों में गण का तंत्र कहा जा सकता है। मेदनीपुर, ताड़ीघाट के मूल निवासी निशांत सिंह परिवार के साथ प्रोफेसर कालोनी में रहते हैं। कोरोना काल में खुद की जान की परवाह छोड़ घर-परिवार व कारोबार से नाता तोड़ कोरोना की लड़ाई में अपने को पूरी तरह झोंक दिया। इसमें उनका साथ दिया उनके छह साथियों ने। इन्होंने अपने दल-बल के साथ 135 दिनों तक लगातार जनपद को विसंक्रमित किया। इस दौरान निशांत ने खुद सैनिटाइजर बनाकर और सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया सीखकर जिले भर के एक लाख से अधिक घरों को निश्शुल्क सैनिटाइज किया। जुनून के साथ-साथ परिवार की भी चिंता थी। इसलिए वे परिवार से ढाई माह दूर रहे। ओपेन हार्ट सर्जरी करा चुके पिता गुलाबचंद्र, लीवर ट्रांसप्लांट करा चुके भाई अजय विक्रम, पत्नी, एक साल के बेटे रेयांश व दो बेटियों से वीडियोकाल द्वारा बात करते रहे।

कर्मचारी की उदासीनता ने झकझोरा : निशांत सिंह सामाजिक कार्यों और मानवीय संवेदनाओं को लेकर शुरू से ही वह संजीदा रहे हैं। ऐसे में लाकडाउन के शुरुआत में एसपी बंगले के सामने सेनिटाइज में लगे एक कर्मी के उदासीन रवैए ने उन्हेंं झकझोरा। ऐसे में उन्होंने इस काम को शुरू करने का न सिर्फ वीणा उठाया बल्कि संकल्प लिया कि किसी तरह का किसी से सहयोग भी नहीं लेंगे। मेडिकल के तमाम साथियों से सेनिटाइजर बनाने की विधि समझी और इसके लिए जरूरी मैटेरियल खरीदे। खुद बनाकर इसका उपयोग करने लगे। स्वास्थ्य विभाग से पूरी टीम ने प्रशिक्षण के बाद इसके लिए अनुमति ली। जिले के आला अधिकारी भी जहां जरूरत होती थी इसी टीम को सेनिटाइज के लिए याद करते थे।

परिवार को पहुंचा दिया ससुराल : निशांत की सोच परिवार तक पहुंची तो उनके घर के लोगों ने ओपेन हार्ट सर्जरी करा चुके पिता गुलाबचंद्र, लीवर ट्रांसप्लांट करा चुके भाई अजय विक्रम ही नहीं बल्कि अपने एक साल के बेटे रेयांस और दो बेटियों का सुरक्षा का भी हवाला दिया। ऐसे में निशांत ने परिवार से अलग रहकर इस काम को शुरू किया। इतना ही नहीं पत्नी और बच्चों को अपने ससुराल पहुंचा दिए। दो माह तक परिवार के लोगों से वीडियो कालिंग से रूबरू होते थे। खुद को सुरक्षित रखने के लिए पीपीई किट और अन्य सावधानियों के साथ सेनिटाइज करने के बाद यह लोग खाने के बजाय काढ़ा पीते थे।

खतरा है, चाहो तो हट जाओ : न सिर्फ सैकड़ों गांवों के तकरीबन एक लाख से अधिक घरों को उन्होंने सैनिटाइज किया बल्कि क्वारंटीन सेंटर, हाट स्पाट एरिया और कोविड-1 हास्पिटल तक को सैनिटाइज करने से पीछे नहीं हटे। खास बात यह कि हाट स्पाट और कोरोना वार्ड में सैनिटाइज के लिए जाते समय वह अपने साथियों को यह मैसेज जरूर करते थे कि आप चाहें तो इस काम से हट सकते हैं। हालांकि कोई पीछे हटा नहीं।

लोगों के प्यार से ही जो कुछ हो सका हुआ

लक्ष्य चाहे कितना भी बड़ा हो हम अपनी क्षमताओं से उसे भेद सकते हैं। कोरोना की जंग बड़ी है। सतर्कता और सावधानी के साथ हम सभी मिल-जुलकर इसे हराएंगे। लोगों के प्यार से ही जो कुछ हो सका हुआ। -निशांत।

टीम बकायदा पीपीई किट और अन्य सावधानी के साथ काम करती थी

टीम निशांत को प्रशिक्षित कर इस काम की अनुमति दी गई थी। टीम बकायदा पीपीई किट और अन्य सावधानी के साथ काम करती थी। -डा. जीसी मौर्या, सीएमओ।

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