वाराणसी में लॉकडाउन के साथ लग जाता है कोरोना संक्रमण पर ब्रेक, इस बार भी संक्रमण घटा रहा लॉकडाउन

कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ता रहा लेकिन शासन-प्रशासन नजर अंदाज करता रहा। देखते-देखते स्थितियां इतनी बिगड़ गई कि अब उनके हाथ से सब कुछ निकल चुका है। लाख प्रयास के बाद भी शासन-प्रशासन तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को नियंत्रित नहीं कर पा रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 05:01 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 05:01 PM (IST)
वाराणसी में लॉकडाउन के साथ लग जाता है कोरोना संक्रमण पर ब्रेक, इस बार भी संक्रमण घटा रहा लॉकडाउन
कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ता रहा लेकिन शासन-प्रशासन नजर अंदाज करता रहा।

वाराणसी, जेपी पांंडेय। बनारस में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ता रहा लेकिन शासन-प्रशासन नजर अंदाज करता रहा। देखते-देखते स्थितियां इतनी बिगड़ गई कि अब उनके हाथ से सब कुछ निकल चुका है। लाख प्रयास के बाद भी शासन-प्रशासन तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को नियंत्रित नहीं कर पा रहा है। पहले जिला प्रशासन ने नाइट कर्फ्यू लगाया, फिर व्यापारियों की सहमति पर तीन दिन की सप्ताहिक बंंदी कर दिया। शुक्रवार की रात आठ से सोमवार की सुबह सात बजे तक बंदी कर दी। बाद में गंगा घाटों पर शाम चार बजे के बाद टहलने पर रोक लगा दिया गया। अब दो-दो दिन लॉकडाउन बढ़ाना शुरू कर दिए हैं। यदि शासन-प्रशासन ने पहली बार की तरह लॉकडाउन लगाया हो ताे शायद आज स्थितियां कुछ और होती। 

बनारस में तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ने पर पहली बार जिलाधिकारी ने 10 और 11 अप्रैल को नाइट कर्फ्यू लगाया लेकिन दो दिन के बंदी का असर नहीं पड़ा। कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ता रहा। स्थिति यह हो गई कि जनपद में रोज दो हजार से अधिक कोरोना संक्रमित की रिपोर्ट आने लगा। जिला प्रशासन की बजाय शहर के व्यापारी खुद आगे आए और एक दिन बंदी बढ़ाने की मांग की। व्यापारियों की सहमति शुक्रवार से सोमवार तक बंदी होने लगे। तीन मई को फिर दो दिन के बंदी को लॉकडाउन के रूप में छह मई तक कर दिया गया है। जनपद में संक्रमण की रफ्तार कम नहीं हुई तो स्वास्थ्य विभाग ने जांच करना कम कर दिया। ऐसे में संक्रमितों की संख्या अब दो हजार के अंदर हो गई है।   

गांव के बाहर होते थे क्वारंटाइन, इस बार नहीं रोका 

पहली बार कोरोना संक्रमण फैलने पर जिला प्रशासन अलर्ट मूड में था। परिवहन व्यवस्था पर तत्काल रोक लगाते हुए बाहर से आने वालों की हाइवे पर जांच शुरू कर दी। श्रमिकों में काेरोना के लक्षण मिलने पर उन्हें गांव के बाहर बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा जा रहा था। उस दौरान उन्हें दवा दी जा रही थी। स्वस्थ होने पर उन्हें घर जाने दिया जा रहा था लेकिन दूसरे लहर में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई। यही कारण है कि कोरोना संक्रमण तेजी से गांवों में पांव पसार चुका है, अब इसे रोकना जिला प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा। 

चार बजे के बाद गंगा घाटों पर लगाई रोक 

तेजी से काेरोना संक्रमण बढ़ने पर जिला प्रशासन ने सभी मंदिरों और गंगा घाट पर भी शाम चार बजे के बाद टहलने पर रोक लगा दी। समस्त होटलों, मॉल, शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेन्ट, बैंक्वेट हॉल, बारात घर, मैरेज हॉल आदि स्थानों पर होने वाले कार्यक्रमों पर मास्क अनिवार्य कर दिया। दुकानदार और ग्राहक दाेनों को मास्क लगाना था। दुकान खुलने का समय सुबह नौ से रात नाै बजे तक हो गया।

कुछ पर रोक तो कुछ पर रही छूट 

बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने रोक लगाई लेकिन बाद में व्यापारियों की सहमति पर 15 अप्रैल से प्रत्येक शुक्रवार से सोमवार तक समस्त दुकानें, मॉल, व्यापारिक प्रतिष्ठान, बार, शराब की दुकानें बंद रही। दूध, सब्जी, ब्रेड, फल आदि सामग्री की दुकानें सुबह 10 बजे तक खुली रहीं। पारिवारिक कार्यक्रमों करने की छूट रही लेकिन उनकी संख्या पहले 100 तय की गई थी, बाद में घटाकर संख्या 50 कर दी गई। यात्री, मरीज, कोविड टेस्ट तथा वैक्सीनेशन कराने वाले व्यक्तियों के आवागमन में कोई रोक-टोक नहीं थी। मगर टैक्सी वाहन प्रतिबंधित थे। जनसामान्य व उनके वाहनों के आवागमन, सभी व्यापारिक व व्यवसायिक गतिविधियों के लिए रात नौ से सुबह छह बजे रोक रही। जनसामान्य, उनके वाहनों का आवागमन, जनसामान्य काे घर से बाहर निकलना, सभी व्यापारिक व व्यवसायिक गतिविधियों को रात आठ से सुबह सात बजे तक प्रतिबंधित रहे। रात में दवा की दुकानों को खोलने की छूट थी। सरकारी कर्मचारी अपने परिचय पत्र के सहारे रात में निकलते थे। सभी शहर से गुजरने वाले मालवाहक प्रतिबंध से मुक्त रहे। बस स्टैैंड, रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट के यात्री के टिकट उनके पास के रूप में रहे। धार्मिक स्थलों पर दर्शन करने पर भी रोक रहा।

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