धरती ही नहीं, आसमान में भी मजबूती के लिए वाराणसी एयरपोर्ट हो रहा तैयार, 60 करोड़ में बनेंगे एएसआर और एमएसएसआर भवन

लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जल्द ही नए एएसआर (एयरपोर्ट सर्विलांस रडार) और एमएसएसआर (मोनोपल्स सेकेंडरी सर्विलांस रडार) भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। अत्याधुनिक भवन बनाए जाने के लिए एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा तैयारियां तेजी से चल रही हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 08:30 AM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 11:47 AM (IST)
धरती ही नहीं, आसमान में भी मजबूती के लिए वाराणसी एयरपोर्ट हो रहा तैयार, 60 करोड़ में बनेंगे एएसआर और एमएसएसआर भवन
लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जल्द ही नए एएसआर और एमएसएसआर भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा।

वाराणसी [प्रवीण यश]। लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जल्द ही नए एएसआर (एयरपोर्ट सॢवलांस रडार) और एमएसएसआर (मोनोपल्स सेकेंडरी सर्विलांस  रडार) भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा। अत्याधुनिक भवन बनाए जाने के लिए एयरपोर्ट प्रशासन द्वारा तैयारियां तेजी से चल रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास भवन बनवाने के लिये पर्याप्त भूमि है। इस पर अप्रैल-मई तक निर्माण प्रारंभ होगा और साल भर में कार्य पूरा हो जाएगा। नया एएसआर और एमएसएसआर भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त रहेंगे। इससे आसमान में उड़ रहे विमानों की अभी की अपेक्षा और सटीक जानकारी मिलेगी।

हवा में उड़ रहे विमानों की सूचना रडार के ही माध्यम से सीएनएस और एटीसी को मिलती है। रडार से मिली सूचना के आधार पर ही एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) द्वारा पायलट को दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। आसमान में उड़ रहे विमानों की एक्यूरेसी दो विमानों के बीच की दूरी, ऊंचाई, विमान की काल साइन, फ्लाइट संख्या आदि की जानकारी रडार के ही माध्यम से प्राप्त होती है। इसके अलावा एयरपोर्ट पर विमानों की जानकारी के लिए डॉप्लर वेरी हाई फ्रीक्वेंसी ओमनी रेंज (डीवीओआर), डीएमई (डिस्टेंस मिजरिंग इक्विपमेंट), आइएलएस (इंस्ट्रमेंट लैंडिंग सिस्टम) सहित अन्य उपकरणों की भी मदद ली जाती है। अत्याधुनिक उपकरणों से लैस नया भवन बन जाने से विमानों के बारे में उपरोक्त सभी जानकारियां प्राप्त करने में काफी सहूलियत मिलेगी।

463 किलोमीटर तक रखी जाती है निगाह : वाराणसी एयरपोर्ट द्वारा 250 समुद्री मील अर्थात करीब 463 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस तक आसमान में उड़ रहे विमानों की निगरानी की जाती है। वाराणसी हवाई क्षेत्र से प्रतिदिन सैकड़ों विमानों का आवागमन होता है। इनमें घरेलू विमानों के साथ ही इंटरनेशनल विमान भी शामिल होते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि कोई इंटरनेशनल विमान जर्मनी से थाईलैंड जा रहा हो और भारत में उसे नहीं उतरना हो तो भी वाराणसी हवाई क्षेत्र से गुजरते समय उसकी निगरानी वाराणसी एयरपोर्ट के एटीसी द्वारा की जाएगी। इसी तरह दिल्ली से कोई घरेलू विमान कोलकाता या अहमदाबाद से गुवाहाटी जा रहा हो तो वाराणसी हवाई क्षेत्र से गुजरते समय उसकी निगरानी वाराणसी एयरपोर्ट के एटीसी द्वारा की जाएगी। इसी तरह अन्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विमानों को भी नियंत्रित किया जाता है।

सीएनएस का बढ़ेगा दायित्व : आकाश में उड़ रहे विमान के पायलट तक धरातल पर मौजूद उपकरणों के माध्यम से सूचना पहुंचाने में कम्युनिकेशन, नेविगेशन एंड सर्विलांस (सीएनएस) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सीएनएस के बगैर विमानों का संचालन नहीं के बराबर माना जाता है और सीएनएस के द्वारा ही तैयार डेटा बेस और उपकरणों के आधार पर ही एटीसी और पायलट के बीच संपर्क स्थापित हो पाता है। अधिकारियों ने बताया कि नया भवन बन जाने के बाद सीएनएस के अधिकारियों का दायित्व बढ़ जाएगा। अभी सीएनएस में करीब 50 लोगों की तैनाती है, नया भवन बनने के बाद यह संख्या भी बढ़ाई जाएगी।

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