वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में वादमित्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को लिखा पत्र

काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर के लिए मंदिर न्यास प्रशासन और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के बीच जमीन की अदला-बदली की कार्रवाई को स्वयंभू ज्योतिॄलग भगवान विश्वेश्वरनाथ पक्ष के वादमित्र व पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने विधि विरुद्ध करार दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 10:06 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 10:06 PM (IST)
वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में वादमित्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को लिखा पत्र
वादमित्र ने प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य समेत स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र भेजा है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर के लिए मंदिर न्यास प्रशासन और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के बीच जमीन की अदला-बदली की कार्रवाई को स्वयंभू ज्योर्तिलिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ पक्ष के वादमित्र व पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने विधि विरुद्ध करार दिया है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य समेत स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र भेजा है।

विजय शंकर रस्तोगी ने पुलिस कंट्रोल रुम स्थापित जमीन के मालिकाना हक और इसकी रजिस्ट्री पर सवाल उठाते हुए कहा कि उक्त परिसर के मालिक भगवान स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ स्वयं हैं। स्कंद पुराण के काशी खंड में ज्ञानवापी परिसर व ज्ञानकूप की धार्मिक महत्ता का जिक्र करते हुए पत्र में लिखा है कि उक्त परिसर में स्थित विशाल शिव मंदिर को वर्ष 1669 में मुगल शासक औरंगजेब के फरमान से अंशत: तोड़ दिया गया। देश की आजादी से पूर्व वाद संख्या 62 सन 1936 दीन मुहम्मद व अन्य बनाम स्टेट फार इंडिया इन कौंसिल सिविल जज की अदालत में दाखिल किया गया था।

वर्ष 1937 में अदालत के फैसले के खिलाफ दीन मुहम्मद की ओर से हाईकोर्ट में अपील दायर की गई जो की वर्ष 1942 में निरस्त हो गई। जमीन को लेकर जो दस्तावेज दाखिल किया गया था उसे अदालत ने सही नहीं माना था। इस आधार पर ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों का कोई अधिकार नहीं माना गया। पुलिस कंट्रोल रुम की जमीन (158 वर्गमीटर) के मालिक भी स्वयंभू ज्योतिॄलग विश्वेशर (विश्वनाथ) मंदिर हैं, इसके प्रबंधक व व्यवस्थापक पं. सोमनाथ व्यास रहे हैं।

उक्त जमीन पर कंट्रोल रुम स्थापित करने के लिए वर्ष 1993 में अस्थाई लाइसेंस के आधार पर तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट को मौखिक स्वीकृति दी गई थी। पं सोमनाथ व्यास और अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी परिसर में नए मंदिर के निर्माण और हिंदूओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने को लेकर वर्ष 1991 में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में मुकदमा दायर किया। वर्तमान में इसकी सुनवाई लंबित है। अदालत ने आठ अप्रैल 2021 को ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था।

इस बीच सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से मिले अधिकार के आधार पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद द्वारा एक्सचेंज डीड के माध्यम से जमीन की अदला-बदली की गई। जबकि यह एक्सचेंज डीड वक्फ एक्ट 1995 के सेक्शन 104 (ए) के तहत शून्य है। वक्फ की किसी भी संपत्ति को एक्सचेंज करने का अधिकार ही नहीं है। उक्त संपत्ति सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की नहीं है व न ही उन्हें किसी प्रकार के हस्तांतरण का अधिकार है। इन तथ्यों पर ध्यान दिए बगैर ही जमीन की अदला-बदली की कार्रवाई कर दी गई जो कि विधि-विरुद्ध है। इसे अवैध घोषित किया जाए और इसकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

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