तकनीक को हथियार बनाकर बैंक खातों पर डाल रहे डाका, लगाम लगाने में पुलिस नाकाम

तकनीकी एक ओर जहां लोगों की जिंदगी आसान बना रही। वहीं इसके तमाम नुकसान भी झेलने पड़ रहे हैं।

By Vandana SinghEdited By: Publish:Sat, 20 Apr 2019 03:47 PM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 08:09 AM (IST)
तकनीक को हथियार बनाकर बैंक खातों पर डाल रहे डाका, लगाम लगाने में पुलिस नाकाम
तकनीक को हथियार बनाकर बैंक खातों पर डाल रहे डाका, लगाम लगाने में पुलिस नाकाम

चंदौली, जेएनएन। तकनीकी एक ओर जहां लोगों की जिंदगी आसान बना रही। वहीं इसके तमाम नुकसान भी झेलने पड़ रहे हैं। हैकर आनलाइन मनी ट्रांसफर व एटीएम क्लोन तकनीकी को हथियार बनाकर लोगों के बैंक खातों में डाका डाल रहे हैं। एक क्लिक में ही लोगों की खून-पसीने की कमाई सीधे हैकरों के खाते में पहुंच जा रही है। हैरान-परेशान भुक्तभोगी पुलिस से गुहार लगा रहे हैं। लेकिन पुलिस को पैसे वापस कराने में मशक्कत करनी पड़ रही।

तीन माह में 32 लोगों के बैंक खातों को बनाया निशाना

इसे पुलिस की नाकामी कहें या हैकरों की तकनीकी दक्षता। हैकर अपनी सटीक तकनीकी के चलते पुलिस से दो कदम आगे रह रहे। जिले में जनवरी से मार्च तक करीब 32 लोगों के बैंक खातों को निशाना बनाकर करीब पांच लाख रुपये धनराशि गायब कर दी। पुलिस 27 भुक्तभोगियों का पैसा लौटवाने का दावा कर रही है। शेष मामलों की पड़ताल जारी है।

केस 1 :

औद्योगिक नगर निवासी रामजनम ने अपने बैंक खाते में एक लाख रुपये जमा किए थे। हैकरों ने उनके खाते को निशाना बनाते हुए 70 हजार रुपये आनलाइन अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। मोबाइल पर पैसे निकाले जाने का मैसेज आने के बाद हैरान-परेशान रामजनम पुलिस के पास पहुंचे। पुलिस ने हैकरों की लोकेशन ट्रेस कर एक सप्ताह में किसी तरह धनराशि वापस कराई।

केस 2 :

बुलआ निवासी विरेंद्र के बैंक खाते को भी हैकरों की नजर लग गई। खाते में जमा 26 हजार रुपये हैकरों के खाते में पहुंच गए। बैंक पहुंचे तो खाते से पैसे गायब होने की जानकारी मिली। मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस ने आधी धनराशि तो वापस करा दी। जबकि हैकर ने शेष पैसे की खरीदारी कर ली थी। इसके चलते धनराशि वापस नहीं हो सकी।

लोगों की चूक से ही हैकरों को बैंक खातों की डिटेल पता चलती है। इसलिए पूरी गोपनीयता बरतें। साइबर क्राइम के मामले संज्ञान में आने पर पहल कर भुक्तभोगियों के पैसे वापस कराने का प्रयास किया जाता है।

-संतोष सिंह, पुलिस अधीक्षक।

chat bot
आपका साथी