UP Budget 2021 : सोनभद्र के कनहर सिंचाई परियोजना को 151 करोड़ आवंटित, बांध का निर्माण होगा तेज

सोनभद्र में निर्माणाधीन कनहर सिंचाई परियोजना के लिए 12 सौ करोड़ की मांग के सापेक्ष अबकी बार के बजट में महज 151 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। इस धनराशि से परियोजना के मुख्य बांध का निर्माण कार्य पूर्ण होने की संभावना जताई जा रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 22 Feb 2021 05:39 PM (IST) Updated:Mon, 22 Feb 2021 05:39 PM (IST)
UP Budget 2021 : सोनभद्र के कनहर सिंचाई परियोजना को 151 करोड़ आवंटित, बांध का निर्माण होगा तेज
निर्माणाधीन कनहर सिंचाई परियोजना के लिए 12 सौ करोड़ की मांग के सापेक्ष 151 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है।

सोनभद्र, जेएनएन। उत्तर प्रदेश, झारखंड एवं छत्तीसगढ़ के सीमांत पर निर्माणाधीन कनहर सिंचाई परियोजना के लिए 12 सौ करोड़ की मांग के सापेक्ष अबकी बार के बजट में महज 151 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है। इस धनराशि से परियोजना के मुख्य बांध का निर्माण कार्य पूर्ण होने की संभावना जताई जा रही है।  इसकी पुष्टि अधीक्षण अभियंता दीपक कुमार ने की।

सोमवार को बजट सत्र शुरू होने के साथ लोग विधान सभा की कार्रवाई पर टकटकी लगाए हुए थे। दोपहर बाद जैसे ही यह खबर छनकर बाहर आई, लोगों की बांछे खिल गई। हालांकि इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए मिला यह धन नाकाफी होने के बावजूद लोगों में बढ़ रही नकारात्मक सोच को सकारात्मक में बदल दिया है। परियोजना का जोर-शोर से दिसंबर 2014 में काम शुरू होने के साथ ही इसके प्रस्तावित लागत बढ़कर 2239 करोड़ हो गई थी। इसमें से अब तक करीब 21 सौ करोड़ रूपये खर्च हो चुका है। खर्च हुए राशि से विस्थापन समेत अन्य कई समस्याओं को सुलझाने के बावजूद महज मुख्य बांध पर बीते करीब एक साल से कच्छप गति से कार्य चल रहा है। जबकि संपूर्ण परियोजना की लागत करीब साढ़े बारह सौ करोड़ रुपये और बढाने के लिए पत्रावली शासन में बीते साल से लंबित पड़ी हुई है। इसको लेकर शासन के स्पष्ट रुख न मिलने से क्षेत्रवासियों में परियोजना को लेकर एक बार फिर नकारात्मक सोच बनने लगी थी, लेकिन लोगों को जैसे ही कनहर परियोजना के कार्यों के लिए 151 करोड़ आवंटन की सूचना की बात समाने आई, लोगों के आंखों की चमक बढ़ गई।

1976 से शुरू हुई है परियोजना

कनहर परियोजना में बांध के निर्माण की आधारशिला 1976 में तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी ने रखी थी। बीच की सपा व बसपा सरकारों ने कुछ काम कराया किंतु इसकी उपेक्षा ही होती रही। सात साल से लगातार लोग बाट जोह रहे थे लेकिन उपेक्षा पर उपेक्षा होती रही। अब एक बार पुन: आशा की किरण दिखी है।

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