UP Board : वर्ष 2016 में अनुपस्थित हुई छात्रा 2021 में नहीं हो सकी उपस्थित, विभागीय कर्मियों की लापरवाह कार्यशैली

बताया कि उनकी बहन चंपा ने वर्ष 2016 में किसान इंटर कालेज बरहनी से हाईस्कूल की परीक्षा दी थी। अंग्रेजी की परीक्षा में वह उपस्थित थी लेकिन उसके उत्तीर्ण प्रमाण पत्र व अंक पत्र में अंग्रेजी विषय में अनुपस्थित दिखाया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 09:20 AM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 09:35 AM (IST)
UP Board  : वर्ष 2016 में अनुपस्थित हुई छात्रा 2021 में नहीं हो सकी उपस्थित, विभागीय कर्मियों की लापरवाह कार्यशैली
विभागीय कर्मियों की लापरवाह कार्यशैली कि एक गड़बड़ी को ठीक करने में पांच साल का समय भी कम पड़ गया।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। इसे छात्रा का दुर्भाग्य कहें या फिर विभागीय कर्मियों की लापरवाह कार्यशैली कि एक गड़बड़ी को ठीक करने में पांच साल का समय भी कम पड़ गया। छात्रा का भाई पिछले पांच वर्षों से कार्यालय का चक्कर काट कर रहा है। बात हो रही है वर्ष 2016 में चंदौली जिले के किसान इंटर कालेज, बरहनी से हाईस्कूल की परीक्षा देने वाली चंपा कुमारी की।

कार्यालय का चक्कर लगाकर वह निराश हो चुके

वाराणसी स्थित माध्यमिक शिक्षा परिषद के क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे चंपा के भाई रविकांत ने मामले के संबंध में बताया कि उनकी बहन चंपा ने वर्ष 2016 में किसान इंटर कालेज, बरहनी से हाईस्कूल की परीक्षा दी थी। अंग्रेजी की परीक्षा में वह उपस्थित थी, लेकिन उसके उत्तीर्ण प्रमाण पत्र व अंक पत्र में अंग्रेजी विषय में अनुपस्थित दिखाया गया है। हालांकि उत्तीर्ण होने के कारण चंपा को आगे की पढ़ाई जारी रखने में कोई दिक्कत नहीं हुई तथा इस बार वह स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल होगी, लेकिन आगे किसी प्रतियोगी परीक्षा के लिए उसे मुश्किल हो सकती है। इस संबंध में संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने नौ जून 2017 को क्षेत्रीय सचिव का आवेदन दिया है, जिसमें कहा गया है कि त्रुटिवश यह अशुद्धि हो गई है। जिसे ठीक कर छात्रा का प्रमाण पत्र व अंक पत्र जारी करने की मांग की है, लेकिन विडंबना यह है कि आज तक इस अशुद्धि को ठीक नहीं किया जा सका है। भाई रविकांत ने कहा कि कार्यालय का चक्कर लगाकर वह निराश हो चुके हैं।

क्षेत्रीय सचिव ने दिखाई गंभीरता

चंपा का भाई रविकांत क्षेत्रीय सचिव सतीश सिंह से इस मामले में मिले तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और संबंधित कर्मी को बुलाकर अविलंब इस मामले के निष्पादन का निर्देश दिया। इसके बाद रविकांत को थोड़ी उम्मीद जगी है कि अब उसे कार्यालय का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा।

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